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आंखों से पट्टी हटाकर गंगा घाट पहुंचा सिस्टम

आखिरकार तीन दिन के बाद सिस्टम की आंखों से पट्टी हट गई। जिलाधिकारी के आदेश पर रविवार की छुट्टी होने के बावजूद सरकारी अमला नरौरा के गंगा घाट पर पार्किंग और अन्य व्यवस्थाओं की जांच करने के लिए पहुंचा। टीम ने दुकानदारों से वार्ता की और पार्किंग का ठेका लेने वाले ठेकेदार से पूछताछ की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 11:14 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 06:02 AM (IST)
आंखों से पट्टी हटाकर गंगा घाट पहुंचा सिस्टम
आंखों से पट्टी हटाकर गंगा घाट पहुंचा सिस्टम

बुलंदशहर, जेएनएन। आखिरकार तीन दिन के बाद सिस्टम की आंखों से पट्टी हट गई। जिलाधिकारी के आदेश पर रविवार की छुट्टी होने के बावजूद सरकारी अमला नरौरा के गंगा घाट पर पार्किंग और अन्य व्यवस्थाओं की जांच करने के लिए पहुंचा। एडीएम प्रशासन रविद्र कुमार के नेतृत्व में एसडीएम डिबाई संजय कुमार, तहसीलदार डिबाई हीरालाल सैनी, सीओ डिबाई विक्रम सिंह एवं लेखपालों की एक टीम ने घंटों तक जांच की। ठेका लेने वाले ठेकेदार से पूछताछ की गई। बाद में ठेकेदार को थाने पर भी ले जाया गया। यहां से बुलंदशहर लाया गया। देर शाम तक ठेकेदार से पूछताछ की जा रही थी।

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जागरण ने यह उठाए थे सवाल

दैनिक जागरण ने हादसे को लेकर सवाल उठाए थे कि जब सिचाई विभाग की तरफ से पार्किंग का ठेका छोड़ा जाता है तो पार्किंग क्यों नहीं है। यदि गंगा घाट पर पार्किंग होती तो शायद सात लोगों की जान बच सकती थी। इन सवालों को जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने अपने संज्ञान में लिया। इसके बाद उन्होंने रविवार को एक टीम जांच के लिए भेजी।

यह था पूरा मामला

दरअसल, हाथरस जिले के गांव मोहनपुरा निवासी 60 लोग वैष्णो देवी से माता के दर्शन करके लौट रहे थे। 11 अक्टूबर की सुबह चार बजे जब बस गांधी गंगा घाट पर पहुंची तो इस बस से उतरकर मोहनपुरा निवासी फूलमति, माला देवी, शीला देवी, रेनू और तीन बच्चियां योगिता, नोबिता, संजना बस से उतरकर हाईवे के किनारे से 15 मीटर दूर सो गई। उसी समय गोंडा की एक बस आई और सो रहे सभी श्रद्धालुओं को कुचल दिया। जिसमे सात की मौत हो गई थी। यदि यह बस पार्किंग में होती तो शायद यह बड़ा हादसा नहीं होता।

इन लोगों से की पूछताछ

पार्किंग और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर एडीएम प्रशासन ने सिचाई विभाग के एसडीओ जुल्फिकार, नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी मुख्तार सिंह, ठेकेदार मुकेश कुमार से पूछताछ की गई। इसके अलावा गंगा घाट पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों से भी पूछताछ की गई। वहीं, बस चालकों और अन्य वाहन चालकों से भी पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान कई बार एडीएम प्रशासन ने अपने अधीनस्थों को भी आड़े हाथ लिया। इस दौरान एडीएम प्रशासन ने वीडियोग्राफी भी कराई।

पार्किंग के स्थान पर खुली हैं दुकानें

प्रशासनिक टीम की जांच में सामने आया है कि जहां पर पार्किंग होनी चाहिए, वहां पर पार्किंग नहीं और ठेकेदार ने दुकानें खुलवाई हुई है। इन दुकानों से हर माह वसूली की जाती है। वहीं सड़क किनारे वाहनों को खड़ा करके वाहन चालकों से भी वसूली की जाती है और उन्हें एक पर्ची दी जाती है। पर्ची वापस मिलने के बाद ही वाहनों को वापस जाने दिया जाता है।

प्रशासन ने शुरू कराई लाइट लगवानी

जिलाधिकारी के आदेश पर रविवार से ही गंगा घाट पर लाइट लगनी शुरू हो गई। बता दे कि जिस स्थान पर हादसा हुआ था। वहां पर लाइट का प्रबंध नहीं था। यदि रोशनी होती तो भी हादसा होने से बच सकता था। दैनिक जागरण ने यह सवाल भी प्रमुखता से उठाया था।


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