रोगों से लड़ रही मौसमी, जिले में बढ़ी मांग
कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर चिकित्सक फलों के सेवन के साथ-साथ मौसमी खाने और इसका जूस पीने की सलाह दे रहे हैं। पौष्टिक और उचित आहार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और मौसमी बीमारियों से बचाता है। मौसमी का सेवन कोरोना काल में आदर्श पेय पदार्थ माना जा रहा है।
बुलंदशहर, जेएनएन। कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर चिकित्सक फलों के सेवन के साथ-साथ मौसमी खाने और इसका जूस पीने की सलाह दे रहे हैं। पौष्टिक और उचित आहार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और मौसमी बीमारियों से बचाता है। मौसमी का सेवन कोरोना काल में आदर्श पेय पदार्थ माना जा रहा है।
अनूपशहर रोड स्थित नवीन मंडी में मौसमी की आवक बढ़ गई है। अप्रैल और मार्च माह के दूसरे सप्ताह तक दिल्ली मंडी के व्यापारी जनपद में 200 से 250 बोरों की आपूर्ति करते थे। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए चिकित्सक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं, ऐसे में लोगों ने खट्टे-मीठे स्वाद वाली मौसमी के सेवन की ओर रुख किया है। खट्टे फलों की श्रेणी में आने के कोरण मौसमी विटामिन सी का भंडार है। वैश्विक महामारी में लॉकडाउन के चलते ठेली, रेहड़ी और जूस कॉर्नर बंद होने के बावजूद मौसम्बी की खपत कम होने के बजाए बढ़ी है। अप्रैल माह से मंडी में प्रतिदिन 300 से 350 बोरों की आपूर्ति हो रही है।
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अप्रैल-मई और अगस्त सितंबर मौसमी के
जिला उद्यान अधिकारी डा. धीरेंद्र सिंह ने बताया कि चिकित्सीय गुणों से लबरेज मौसमी बाजारों में 12 माह उपलब्ध रहती है। बाहरी राज्यों में होने वाली मौसम्बी और मौसमी की अप्रैल-मई तथा अगस्त सितंबर में तोड़ होती है। कोल्ड स्टोरेज में भी इसका स्टॉक रखा जाता है। हाल फिलहाल में यह सीजनली और फ्रेश मौसमी बाजार में उपलब्ध है।
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मंडी में मौसमी नहीं, मौसंबी की आपृूर्ति
दरअसल, नवीन मंडी में मौसंबी के 300 से 350 बोरे आपूर्ति हो रहे हैं। पीले और हरे रंग की मौसम्बी की थोक दर 15-18 रुपये प्रति किलो की दर से आवक है। जबकि वर्तमान में बाजारों में यह मौसम्बी 45-50 रुपये तक बिक रही है।
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खेत की मेढ और आंगन में मौसमी
दरअसल, प्राकृतिक प्रेमी किसानों ने खेतों की मेढ और घरों के आंगन में मौसमी के पौधे लगाए हैं। इसके सेवन से होने वाले गुणों से आकर्षित होकर लोगों ने मेढ और घरों में मौसमी के पौधे लगाने शुरू कर दिए हैं। इस संबंध में जिला उद्यान अधिकारी डॉ. धीरेंद्र सिंह ने बताया कि जनपद में मौसमी का उत्पादन नहीं है, इसीलिए कोई योजना भी नहीं आती। बाजार और मंडी में मौसमी की आवक काफी है और चिकित्सीय गुणों से भरपूर मौसमी की आपूर्ति भी अच्छी है।