कहीं लगे ताले, कहीं पहरे, ऐसे हैं नगर के रैनबसेरे
दिसंबर की ठंड में राहगीरों के ठहरने के लिए बनाए रैनबसेरों में अव्यवस्था का बोलबाला है। अस्थाई रैन बसेरों को छोड़ दें तो पालिका के किसी भी रैन बसेरे में व्यवस्था चाक-चौबंद नहीं हैं।
बुलंदशहर, जेएनएन। दिसंबर की ठंड में राहगीरों के ठहरने के लिए बनाए रैनबसेरों में अव्यवस्था का बोलबाला है। अस्थाई रैन बसेरों को छोड़ दें तो पालिका के किसी भी रैन बसेरे में व्यवस्था चाक-चौबंद नहीं हैं।
पुराने महिला अस्पताल में स्थित महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग रैनबसेरा कई वर्षो से बना है। वर्तमान में हालात यह हैं कि इन दोनों रैनबसेरों के चेनरों में ताले जड़े हैं। पूछताछ करने पर वहां मौजूद एक व्यक्ति ने बताया कि इन रैनबसेरों में गंदगी न हो इसके लिए सीएमएस ने ताले लगा दिए हैं। क्योंकि यहां सफाई कर्मचारी तैनात नहीं है। धूल फांक रहे रैनबसेरे सफेद हाथी बने हैं जबकि इसके नजदीक ही रोडवेज अड्डा है और सैकड़ों लोग ठंड भरी रात सड़क पर गुजारने को मजबूर हैं। उधर, जिला अस्पताल में स्थित रैनबसेरों में गद्दे भी हैं और सफाई व्यवस्था भी लेकिन चौकीदार यहां से चेनर लगाकर दूर आग तापता मिला। चौकीदार ने बताया कि इन रैन बसेरों में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है इसीलिए चेनर लगाकर रखा जाता है।
राहगीरों को भाये, अस्थाई रैनबसेरे
पालिका अध्यक्ष मनोज गर्ग ने नगर में चार अस्थाई रैन बसेरे की व्यवस्था की है। इसमें चादर, रजाई, गद्दों और फोल्डिग की उचित व्यवस्था है और सभी पर चौकीदार तैनात हैं। इनमें राहगीर ठहर रहे हैं लेकिन स्थायी रैन बसेरों से लोग परहेज कर रहे हैं।
पुल के नीचे गुजार रहे रात
शिकारपुर बाइपास स्थित पुल के नीचे दर्जनों लोग रात व्यतीत करने को मजबूर हैं। रात में यहां कुछ लोग गंदी चादरों में सर्द भरी रात गुजारने को मजबूर हैं। रैनबसेरों के ताले जड़े होने के चलते इन लोगों को कंपकंपाहट के साथ रात गुजारनी पड़ रही है।
इन्होंने कहा ..
रैनबसेरों में बेहतर व्यवस्था के लिए जिले भर की नगर पालिका और पंचायतों को निर्देशित किया गया है। कही पर भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
- रविद्र कुमार, जिलाधिकारी