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जांच के बहाने दम तोड़ रहे सनसनीखेज खुलासे

बुलंदशहर जनपद में ऊर्जा निगम में सनसनीखेज खुलासों को पहले तो अफसर झुठलाते रहे और बाद में जब ज्यादा शोर मचा तो एफआइआर दर्ज हुई। रिकवरी के आदेश भी हुए लेकिन लाखों का गबन करने वाले आरोपितों का कुछ नहीं बिगड़ा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 07:59 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 07:59 AM (IST)
जांच के बहाने दम तोड़ रहे सनसनीखेज खुलासे
जांच के बहाने दम तोड़ रहे सनसनीखेज खुलासे

जेएनएन, बुलंदशहर। बुलंदशहर जनपद में ऊर्जा निगम में सनसनीखेज खुलासों को पहले तो अफसर झुठलाते रहे और बाद में जब ज्यादा शोर मचा तो एफआइआर दर्ज हुई। रिकवरी के आदेश भी हुए, लेकिन लाखों का गबन करने वाले आरोपितों का कुछ नहीं बिगड़ा। हद तो यह है कि कुछ अफसर-कर्मचारी तो घोटाला करने वाले स्थानों पर ही तैनात है। वहीं घोटालों का खुलासा करने वाले कार्रवाई की राह देख रहे हैं और घोटालेबाज मजे कर रहे हैं। यहां तक की अफसरों ने चार्जशीट तक बनाकर एमडी को भेजी है, लेकिन कार्रवाई अभी तक शून्य नजर आ रही है। पेश है ऊर्जा निगम के कुछ सनसनीखेज खुलासों पर एक नजर। केस-1

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जून 2019 में 159 उपभोक्ताओं की रीडिग कम कर 26 लाख रुपये का घोटाला किया था। मामले में अफसरों ने कम्प्यूटर आपरेटरों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। रीडिग कम करने का खेल जेई और एसडीओ की आइडी से हुआ था। खुलासे के बाद कई महीने तक जांच चलती रही। इसके बाद चीफ इंजीनियर ने 11 जेई और एसडीओ के खिलाफ चार्जशीट बनाकर एमडी को भेज दी। मामले को एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। केस-2

वर्ष 2018 में शिकारपुर क्षेत्र में प्रदेश की सबसे बड़ी 250 किलोवाट की बिजली चोरी पकड़ी गई थी। इसी स्थान पर पहले भी बिजली चोरी पकड़ी गई थी, लेकिन बिजली चोरी कराने में शामिल अफसरों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जांच के नाम पर बनी फाइल दबकर रह गई। चोरी कराने के बाद भी अफसर वहीं तैनात रहे। केस-3

चांदपुर क्षेत्र में अवैध लाइन शिफ्टिग के खेल का खुलासा हुआ था। मामले में जेई की तहरीर पर सात संविदा कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था, लेकिन लाइन शिफ्ट कराने में शामिल अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि एक जेई की भूमिका संदिग्ध मानते हुए चार्जशीट भी बनाई गई थी, लेकिन जांच के नाम पर यह मामला भी दम तोड़ रहा है। फाइल भी दब गई है। केस-4

डिबाई में वर्ष 2016 में एक करोड़ रुपये से अधिक का कैश जमा करने में घोटाला किया गया था। कच्ची-पक्की रसीद काटकर दी जाती थी। मामले में चार साल तक तो जांच चलती रही। अब ज्यादा हल्ला मचा तो मामले में 30 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन अभी तक भी न तो मिलान हुआ है और ना ही आरोपितों को पकड़ा गया है। जांच के नाम पर अफसर की हीलाहवाली नजर आ रही है। केस-5

अक्टूबर महीने में खुर्जा के एक निजी गोदाम में ऊर्जा निगम की मेरठ टीम ने करोड़ों रुपये के विद्युत उपकरण पकड़े थे। गोदाम पर छापेमारी में इंसुलेटेड कंडक्टर, टी-प्वाइंट, तार, बाक्स, अर्थ ट्रेपिग, लाइन खींचने का इतना सामान मिला था कि करीब दो दिन तक काउंटिग हुई थी। स्टोर से खरीदकर निजी फर्म को सामान बेच दिया जाता था। शिकायत के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ। मामले में एफआइआर दर्ज तो करा दी गई, लेकिन अब जांच के बहाने मामला ठंडे बस्ते में पहुंच गया है। न किसी पर कार्रवाई हुई और ना ही मामले का खुलासा करने को अधिकारी तैयार हैं। इन्होंने कहा

बिल कम करने के घोटाले में चार्जशीट बनाकर भेज दी है। डिबाई मामले में मुकदमा दर्ज हो चुका है। कैश का मिलान किया जा रहा है। अन्य मामलों में भी जांच कर चार्जशीट बनाई जा चुकी है। खुर्जा प्रकरण की मेरठ से जांच चल रही हैं। एमडी स्तर से कार्रवाई होगी।

- आरपीएस तोमर, चीफ इंजीनियर


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