Move to Jagran APP

सीमा विवाद में फंसी दस गांवों की सुरक्षा व्यवस्था

ककोड़ थाने में फरियाद लगाने के लिए ग्रामीणों को दस से चौदह किमी तक दूरी तय करनी पड़ती है। जबकि नहर पुल से गौतमबुद्धनगर के दनकौर थाने की चौकी मात्र तीन किमी की दूरी पर है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 12:02 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:03 AM (IST)
सीमा विवाद में फंसी दस गांवों की सुरक्षा व्यवस्था
सीमा विवाद में फंसी दस गांवों की सुरक्षा व्यवस्था

बुलंदशहर, जेएनएन। ककोड़ थाने में फरियाद लगाने के लिए ग्रामीणों को दस से चौदह किमी तक दूरी तय करनी पड़ती है। जबकि, नहर पुल से गौतमबुद्धनगर के दनकौर थाने की चौकी मात्र तीन किमी की दूरी पर है। आपराधिक वारदातों को लेकर कई बार बड़ी दो जनपदों की सीमाओं के बीच विवाद हो चुका है। बार बार मांग के बावजूद सीमा से सटे गांव में न तो चौकी और न ही स्थाई पुलिस पिकेट बन सकी है।

loksabha election banner

ककोड़ थाने से सटे गौतमबुद्धनगर की सीमा अपराधियों के लिए शरणस्थली बनी हुई है। ककोड़ क्षेत्र में वारदात के बाद अपराधी आराम से गौतमबुद्धनगर की सीमा में पहुंचकर फरार हो जाते हैं। इसका एक बार नहीं कई बार खुलासा हो चुका है। ककोड़ से नहर पटरी होकर गौतमबुद्धनगर के गांवों से सटे ऐसे दस गांव हैं, जिनमें आजमपुर हुसैनपुर, अलोदा जागीर, महमदपुर कहरी, हसनपुर बकसुआ, कमालपुर, ठसराना, रोनी सलोनी आदि गांव हैं, जिनकी ककोड़ थाने और झाझर पुलिस चौकी से दूरी 14 से 10 किमी दूर है, जो हिरनौटी नहर पुल के आसपास है। हिरनौटी नहर पुल ककोड़ में और इससे पार करते ही दनकौर कोतवाली गौतमबुद्धनगर सीमा शुरू होती है। जहां से दनकौर की बिलासपुर चौकी की दूरी मात्र तीन से पांच किमी है। ऐसे में कई बार किसी अपराधिक घटना हो या रंजिशन संघर्ष हो, जब तक पुलिस मौके पहुंचती है, तब तक या तो अपराधी फरार हो जाते हैं और या संघर्ष को बड़ा रूप ले चुका होता है।

क्षेत्र के ग्रामीणों ने कहा.. ग्रेटर नोएडा सीमा से सटे नहर पुल रास्ते पर आए दिन घटनाओं की रोकथाम के लिए चौकी बनाए जाने की पुलिस अधिकारियों से मांग की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया।

--ठाकुर सतीश गड़ाना, एडवोकेट

-

नहर मार्ग ग्रेटर नोएडा, नोएडा के साथ दिल्ली गाजियाबाद जाने का मुख्य मार्ग है। सुबह व शाम में तीन सौ से लेकर चार सौ लोग नोएडा क्षेत्र में विभिन्न कंपनी ड्यूटी व निजी कारोबार के सिलसिले में आते जाते हैं। कई बार रात ही नहीं दिन वारदात का ग्रामीण शिकार हो चुके हैं।

-शील प्रधान, गांव सुनपेड़ा

--

दूसरे जनपद के गांवों जुड़ी सीमाएं संवेदनशील हैं। चौकी अथवा पुलिस पिकेट की मांग कई वर्षों से उठाई जा रही है। थाने में कई बार शांति समिति की मीटिग होती है, उस समय आश्वासन मिलता है, इंचार्ज बदलते रहते हैं और आश्वासन हवा हवाई हो जाते हैं।

-योगेश शर्मा, गांव वैर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.