सड़कों पर नियमों को रौंद रहे स्कूली वाहन
पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों पर अभिभावक सालाना हजारों रुपये खर्च करते हैं। बावजूद इसके बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
जासं, बुलंदशहर : पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों पर अभिभावक सालाना हजारों रुपये खर्च करते हैं। बावजूद इसके बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। उन्हें स्कूल लाने और ले जाने के लिए प्रयोग हो रहे अधिकांश वाहन या तो पुराने हैं, या अनफिट करार दिए जा चुके हैं। कुछ एक स्कूल छोड़ दें तो बच्चे अधिकांश प्राइवेट वाहनों से स्कूल पहुंचते हैं। जो यातायात मानकों को पूरा नहीं करते। सड़कों पर यातायात मानकों को यह अनफिट वाहन लगातार रौंद रहे हैं।
जिले में करीब डेढ़ हजार निजी स्कूल हैं। इनमें एक लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। कुछ स्कूलों को छोड़ दें तो अधिकतर में कंडम या फिर दिल्ली नंबर के अनफिट वाहन इस्तेमाल किए जा रहे हैं। स्कूली बच्चे आटो, मारुति वैन व ई-रिक्शा आदि पर आश्रित हैं। जिनमें से कुछ एक में तो घरेलू गैस सिलेंडर तक का प्रयोग किया जाता है। इन वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र व अन्य सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता। इतना ही नहीं इनमें क्षमता से अधिक बच्चों को ढोया जाता है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा पर हमेशा सवालिया निशान लगा रहता है। वहीं, ऐसे वाहनों पर रोक लगाने के बजाए पुलिस, उप सम्भागीय परिवहन विभाग और यहां तक की स्कूल प्रबंधन भी कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं।
जिले के स्कूलों में लगे वाहनों की स्थिति
- 665 वाहन पंजीकृत हैं उप सम्भागीय परिवहन विभाग में
- 13 कंडम वाहन मात्र सीज किए गए बीते साल
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इन्होंने कहा..
समय-समय पर अभियान चलाकर अनफिट वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करते रहते हैं। चार फरवरी से शुरू हो रहे यातायात सप्ताह में इस ओर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इससे पहले कंडम वाहनों का इस्तेमाल करने वाले स्कूलों को नोटिस जारी किया जाएगा।
- मुहम्मद कय्यूम, एआरटीओ प्रशासन, बुलंदशहर।