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ई-चालान करने में की जा रही मनमानी

जिला पुलिस ई-चालान में गलती कर रही है। वाहन चालक के पास जरूरी दस्तावेज और मानक पूरे होने पर उनका चालान किया जा रहा है। आरोप है कि इसी मनमानी के चलते 23 मार्च से अब तक जिला पुलिस साढ़े पांच करोड़ से अधिक का जुर्माना वसूल चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 10:28 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 10:28 PM (IST)
ई-चालान करने में की जा रही मनमानी
ई-चालान करने में की जा रही मनमानी

सहारनपुर, जेएनएन। जिला पुलिस ई-चालान में गलती कर रही है। वाहन चालक के पास जरूरी दस्तावेज और मानक पूरे होने पर उनका चालान किया जा रहा है। आरोप है कि इसी मनमानी के चलते 23 मार्च से अब तक जिला पुलिस साढ़े पांच करोड़ से अधिक का जुर्माना वसूल चुकी है।

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करीब तीन साल से जिले में वाहनों का ई-चालान शुरू हुआ है। पहले तो यह सुविधा सिर्फ यातायात पुलिस के पास ही थी, लेकिन अब यह विशेष सोफ्टवेयर सभी पुलिसकर्मियों के मोबाइल में है। आला अफसर जब भी वाहन चेकिग का अभियान शुरू कराते हैं तो फिर उन्हें कुछ समझ नहीं आता कि वह सही कर रहे हैं या गलत..। 23 मार्च से अब तक सैंकड़ों वाहन सीज हो चुके हैं। हजारों वाहन चालकों का चालान किया जा चुका है। पांच महीने में इतना जुर्माना होने की जब दैनिक जागरण ने पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। चालान करते हुए पुलिसकर्मी दस्तावेजों को देखना तक पसंद नहीं करते। जब तक व्यक्ति कागज दिखाता है, तब तक मोबाइल से फोटो खींच कर ई-चालान कर दिया जाता है। केस एक:-

शहर निवासी संजीव कुमार एक्टिवा से कोर्ट रोड फोटो स्टेट कराने जा रहे थे। एसएसपी फुट पेट्रोलिग पर आ गए तो हड़बड़ाकर दारोगा एक्टिवा के पास पहुंचे। संजीव कुमार को बुलाया। उनका फोटो खींचा और पांच हजार रुपये का चालान कर दिया। संजीव ने ड्राइविग लाइसेंस, हेलमेट, एक्टिवा का रजिस्ट्रेशन इत्यादि सब दिखाया, लेकिन दारोगा ने एक न सुनी। मोबाइल पर मैसेज आया तो देखा कि चालान अंडरएज, बिना लाइसेंस, बिना हेलमेट तथा प्रेशर हॉर्न लगाने के अपराध में किया है। जबकि एक्टिवा में प्रेशर होर्न लगता ही नहीं। हालांकि बाद में जुर्माने की सभी राशि माफ कर मात्र 200 रुपये में जुर्माना वसूला गया।

केस दो -

सरसावा निवासी शहजाद के रिश्तेदार के बीमार होने पर कार से लेकर अस्पताल जा रहे थे। एसबीडी चौक पर जल्दबाजी में उनकी कार से दारोगा की कार को हल्की साइड लग गई तो दारोगा गुस्से से तमतमा गए। हालांकि दारोगा की गाड़ी में कुछ नुकसान नहीं हुआ था, बावजूद इसके उन्होंने कार का 10 हजार रुपये का चालान कर दिया। शहजाद ने मरीज का हवाला दिया लेकिन वह माने नहीं, हालांकि अस्पताल पहुंचने के बाद मरीज की मौत भी हो गई थी। अंतिम संस्कार के बाद चालान देखा तो दारोगाजी ने प्रदूषण, ड्राइविग लाइसेंस और आरसी न होने का चालान किया था, जबकि शहजाद के पास यह सभी दस्तावेज भी थे। इनका कहना है..

इस तरह से चालान किया जाना गलत है, क्योंकि गलत ढंग से चालान करने पर न सिर्फ वाहन स्वामी परेशान हो रहा है बल्कि जुर्माना राशि को पुन: ठीक करने में यातायात विभाग भी परेशान हो रहा है। पुलिसकर्मियो को अपना इस तरह का रवैया छोड़ना होगा, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।

डा. एस चन्नप्पा, एसएसपी।


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