धर्म से ही प्राणी मात्र का कल्याण होता है: आचार्य
जागरण संवाददाता बुलंदशहर श्री राम रसायन ट्रस्ट बुलंदशहर के तत्वावधान में चल रही श्रीमद्
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर: श्री राम रसायन ट्रस्ट बुलंदशहर के तत्वावधान में चल रही श्रीमद् भागवत में शनिवार को कथा वाचक आचार्य मनीष ने कहा कि भक्ति का परिपक्व फल रास है। रास संसार की सुखद एवं अध्यात्म की सर्वश्रेष्ठ भाव स्थिति है। रास को समझने के लिए गोपी भाव की आवश्यकता है। कथा के समापन पर भंडारा भी हुआ।
कथा वाचक ने कहा कि धर्म के भाव को समझने के लिए पवित्र मन की आवश्यकता है और ये तभी संभव है, जबकि जब हमारा अन्न पवित्र हो। जिसका अन्न पवित्र है। उसका मन पवित्र होगा ही। आज के युवा व्यसन और अवसाद के शिकार हैं। पूरी दुनिया को शांति का संदेश देने वाला भारत देश आज अशांत है, क्योंकि हमने अपनी संस्कृति से मुंह मोड़ लिया है। योग, यज्ञ और तप को जीवन में अपनाकर हम अपना जीवन सफल बना सकते हैं। भक्ति में अहंकार का कोई स्थान नहीं है। संतोष धन से बड़ा कोई धन नहीं है। कथा, सत्संग, कीर्तन मन के संतोष का माध्यम है। ईश्वर का अहसास भाव से होता है। मानव जीवन भगवान का सबसे बड़ा उपहार है। कथा के समापन पर भंडार के आयोजन किया गया। इस मौके पर रविन्द्र राजौरा, भूपेंद्र सिंह, केएल गुप्ता, प्रदीप लोधी, उषा चौधरी, विमलेश राजौरा, मंजू शर्मा, शशि सिंह आदि मौजूद रहे।