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मुंबई तक महक रही जैविक गन्ने के गुड़ की मिठास

दिन-रात मेहनत के पसीने से सींचकर फसल उत्पादन करने वाले किसान को उसकी लागत और मेहनत का मूल्य प्राप्त हो जाए तो किसान ही नहीं देश भी खुशहाली की ओर अग्रसर होगा। यह कहना है जनपद के स्याना तहसील क्षेत्र के निवासी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित जैविक खेती किसान भारत भूषण त्यागी का। अब उनकी इसी सीख पर चलते हुए दो युवाओं ने बीटेक करने के बाद फसल का उचित दाम ही नहीं बल्कि पांच गुणा ज्यादा मुनाफा गन्ने की फसल में लिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 01:49 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 01:49 PM (IST)
मुंबई तक महक रही जैविक गन्ने के गुड़ की मिठास
मुंबई तक महक रही जैविक गन्ने के गुड़ की मिठास

जेएनएन, बुलंदशहर। दिन-रात मेहनत के पसीने से सींचकर फसल उत्पादन करने वाले किसान को उसकी लागत और मेहनत का मूल्य प्राप्त हो जाए तो किसान ही नहीं देश भी खुशहाली की ओर अग्रसर होगा। यह कहना है जनपद के स्याना तहसील क्षेत्र के निवासी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित जैविक खेती किसान भारत भूषण त्यागी का। अब उनकी इसी सीख पर चलते हुए दो युवाओं ने बीटेक करने के बाद फसल का उचित दाम ही नहीं बल्कि पांच गुणा ज्यादा मुनाफा गन्ने की फसल में लिया है। अभी तक घाटे का सौदा रही खेती को दोनों युवाओं की सोच और समझ ने लाभ की पटरी पर दौड़ा लिया है। इन्होंने अपनी फसल से बनाए प्रोडक्ट की मार्केटिंग की और इनका जैविक गुड़ की मिठास बाहरी राज्यों तक फैल रही है।

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वर्तमान में प्रदेश में गन्ने का समर्थन मूल्य 325 रुपये है और किसान हर वर्ष गन्ने के समर्थन मूल्य वृद्धि के लिए संघर्ष करता है। लेकिन गन्ने का वाजिब दाम नहीं मिल सका है। ऐसे में अनूपशहर क्षेत्र के गांव तोरई निवासी दीपकांत और हिमांशु वासवान घाटे में चल रही खेती को फायदे का डबल डोज दिया है। युवाओं ने एक कुंतल गन्ने से 13 किलो जैविक गुड़ बनाकर एक तरह से लाभ का नया रिकार्ड ही कायम कर दिया है। युवाओं का बनाया जैविक एक किलो गुड़ की कीमत 80 रुपये किलो है। एक कुंतल गन्ने से इन्होंने 13 किलो जैविक गुड़ बनाया और कुल 1040 रुपये में बिक्री कर रहे है। गुड़ में औषधीय सुगंध

दीपकांत और हिमांशु ने अपनी ही जमीन में गन्ना कोल्हू लगाया है। गन्ने के रस पर मक्खी, मच्छर न आएं इसके लिए चारों 10 फिट ऊंचाई तक जाल बिछाया है। 12 ग्राम के गुड़ का पीस मिठाई की तर्ज पर बनाया जाता है। इसमें सुखलाई के साथ-साथ एलोविरा, तिलसोट, आंवला, हल्दी, सतावर, अजवाइन, सौंप और मूंगफली डालकर इन्हें अलग-अलग फ्लेवर में तैयार किया जाता है। महाराष्ट्र और जयपुर तक पहुंची मिठास

मोबाइल पर जैविक गुड़ बनाने की विधि और इसमें डाली गई सामग्री की वीडियो अपलोड करके ग्राहकों को भेजी जाती है। आनलाइन भुगतान और ट्रेन और अन्य साधनों से गुड़ की आपूर्ति की जाती है। महाराष्ट्र, जयपुर, मध्यप्रदेश, दिल्ली, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुड़गांव और नोएडा तक जिले के गुड़ की मिठास पहुंच रही है। इन्होंने कहा..

अनूपशहर क्षेत्र के तौरई गांव के दोनों छात्रों ने मेरे यहां जैविक खेती का प्रशिक्षण लिया है। जैविक खेती समय की मांग है और इससे किसान की आय दो नहीं बल्कि 10 गुणा बढ़ेगी। किसान को खुद ही मंडी तैयार करनी होगी और खुद ही फसल का मालिक बने रहना होगा, तभी वाजिब दाम मिलेंगे।

-भारत भूषण त्यागी, पद्मश्री जैविक खेती किसान

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राजू मलिक


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