यूएसए का पोली-4 देगा आलू की बंपर पैदावार
आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को नई खाद अपनाने के लिए प्ररित किया जा रहा है। यह खाद फसल को पोषक तत्व प्रदान करने में सक्षम है।
बुलंदशहर : आलू की फसल बोने के लिए किसान डीएपी का विशेष रूप से इस्तेमाल करते हैं। बावजूद इसके आलू की बेहतर पैदावार नहीं मिल पाती है। जिले का कृषि अनुसंधान केंद्र डीएपी से भी बेहतर विकल्प की तलाश में जुटा है। केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि पोली-4 यूएसए का खाद है। इसमें डीएपी से अधिक पोषक तत्व हैं। इसके चलते आलू की पैदावार में जहां काफी वृद्धि हो सकती है, वहीं आलू में भी पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व होंगे। यह शोध प्रदेश सरकार के निर्देश में चल रहा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने के बाद गेहूं व आलू की फसल पर्याप्त मात्रा में उगाई जाती है। आलू की फसल की बुआई के लिए आमतौर पर किसान डीएपी का इस्तेमाल करते हैं। इससे अधिकतर बीज के उगने की उम्मीद रहती है। साथ ही फसल की पैदावार भी बेहतर रहती है। फसल की पैदावार उम्दा लेने के इरादे से किसान डीएपी के अलावा कई अन्य रासायनिक खादों का भी इस्तेमाल करने लगे हैं। इससे जहां आलू की पोष्टिकता घट रही है वहीं कृषि भूमि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। तमाम समस्याओं को देखते जिला अनुसंधान केंद्र आलू की बुआई में डीएपी की जगह यूएसए के पोली-4 का शोध कर रहा है। केंद्र के अधिकारी ने बताया कि यह शोध का दूसरा साल है। पहले साल के शोध ने बेहतर परिणाम दिया है। उम्मीद है कि इस साल भी अच्छा परिणाम रहेगा। इसके चलते अगले साल से किसान डीएपी की जगह पोली-4 का इस्तेमाल करके लाभ उठा सकेंगे। - क्या है पोली-4 और इसमें कौन से हैं पोषक तत्व
प्रभारी अधिकारी, अनुसंधान केंद्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र, बुलंदशहर डा. शिव ¨सह ने बताया कि अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों के अनुसार पोली-4 यूएसए निर्मित खाद है। अभी यह प्रदेश में उपलब्ध नहीं है। यह शोध बुलंदशहर के अलावा मेरठ विश्वविद्यालय और बिजनौर के नगीना में किया जा रहा है। आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली डीएपी में मात्र दो पोषक तत्व होते हैं, नाइट्रोजन व फासफोरस। जबकि पोली-4 में इन दोनों पोषक तत्वों के अलावा कैल्शियम, मैग्निशियम व सल्फर अतिरिक्त होते हैं। इसके चलते भूमि की उर्वरा शक्ति में भी सुधार होगा साथ ही आलू की पोष्टिकता बेहतर रहेगी। इन्होंने कहा..
सफलता मिलने के बाद किसान पोली-4 का इस्तेमाल करके आलू की बंपर पैदावार ले सकेंगे। प्रयोग सफल होने पर खाद उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की रहेगी।
- डा. शिव ¨सह, प्रभारी अधिकारी, अनुसंधान केंद्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र, बुलंदशहर।