गरीबों के लिए मददगार बन रहे मंगलसेन
गरीब और गरीबी के नाम पर सियासत तो खूब होती है, लेकिन समाज में ऐसा आदमी खोजे से भी नहीं मिलता, तो पूरी निष्ठा से गरीबों के लिए कार्य करता हो।
उपेंद्र शर्मा, छतारी
गरीब और गरीबी के नाम पर सियासत तो खूब होती है, लेकिन समाज में ऐसा आदमी खोजे से भी नहीं मिलता, तो पूरी निष्ठा से गरीबों के लिए कार्य करता हो, लेकिन छतारी निवासी मंगलसेन उन लोगों से ही हैं, जो गरीबों के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं। साथ ही गरीबों की मदद को हमेशा तैयार रहते हैं।
छतारी के मोहल्ला महावीर बाजार निवासी 65 वर्षीय मंगलसेन गुप्ता के पिता स्वर्गीय रामानंद भी समाजसेवी थी। जिनके नक्शे कदम पर ही वह भी चल रहे हैं। युवा अवस्था में जब वह लोगों को भीख मांगते हुए देखते थे, तो उनके मन में अजीब सी पीड़ा होती थी और वह अपनी जेब खर्च के लिए मिले रुपयों से ऐसे लोगों की मदद करते थे। जिसके बाद मानो गरीबों की मदद करना उनके मन में बस गया। वह पहले अपने पैरों पर खड़े हुए हैं और व्यापार का कारोबार संभालते हुए गरीबों को मदद करने के साथ-साथ उनके हक की लड़ाई भी लड़ने लगे। सन 2004 में कस्बे के गरीब लोगों को सरकारी अस्पताल बुलंदशहर और अलीगढ़ की तरफ रुख अपना इलाज कराने के लिए जाना पड़ता था। क्योंकि उनके पास निजी चिकित्सकों के खर्चे के रुपये नहीं थे। जिस पर उन्होंने कस्बे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनवाने के लिए प्रयास करते हुए अपनी एक एकड़ भूमि को दान दे दिया। जिससे गरीबों को समय पर प्राथमिक उपचार मिल सके। जिनके इस सहयोग से आज काफी लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से समय पर उपचार मिल रहा है। इतना ही नहीं वह गरीब लड़कियों की शादी में भी प्रतिवर्ष सहयोग करते हुए और लोगों को भी सहयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं। जिससे गरीब बेटियों के हाथ पीले होने में दिक्कतें ना हो। अब तक वह 50 से अधिक करीब कन्याओं की शादी में मदद के सारथी बन चुके हैं। उनका कहना है कि जब तक वह ¨जदा रहेंगे गरीबों की मदद करते रहेंगे।
टूटे रिश्तों को भी जुड़वाने में बने मददगार
मंगलसेन गुप्ता ने अब तक कस्बा समेत देहात के दर्जनों टूटे रिश्तों को आपकी समझौता करते हुए उनके रिश्तों को जुड़वाने का कार्य किया। उन्होंने कई न्यायालय में विचाराधीन रिश्तों में सुलह कराते हुए निपटाया है। ऐसे काफी लोग वर्तमान में आग सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
गरीब कन्याओं को शिक्षा में भी छूट
छतारी क्षेत्र की बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए कस्बे से बाहर जाना पड़ता था। जिसके चलते गरीब बेटियां उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती है। जिनको देखते हुए उन्होंने मन में डिग्री कालेज की स्थापना करने का संकल्प ले लिया और सन 2007 में उन्होंने पहासू मार्ग पर डिग्री कालेज बनवा दिया। जिसमें आज भी बेहद गरीब बेटियों को निश्शुल्क शिक्षा दिला रहे हैं।
जनहित योजनाओं के लिए भी करते हैं प्रेरित
इतना ही नहीं वह केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही जनहित में योजनाओं की पहले खुद जानकारी जुटाते हैं। उसके बाद लोगों को योजना के विषय में जानकारी देते हुए उसका लाभ दिलवाए जाने में मदद करते हैं।