खंडहर बने स्वास्थ्य उपकेंद्र, इलाज का सपना चकनाचूर
सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का भले ही दावा करती हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है। छतारी क्षेत्र में दर्जनभर से अधिक खंडहर में तब्दील स्वास्थ्य उपकेंद्र उसकी बानगी भर हैं। कहीं उपकेंद्र पर चिकित्सक नहीं है तो कहीं सुविधाओं का अभाव है। ऐसे में क्षेत्र के लोगों का बेहतर इलाज का सपना चकनाचूर होता दिखाई दे रही है।
बुलंदशहर, जेएनएन। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का भले ही दावा करती हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। छतारी क्षेत्र में दर्जनभर से अधिक खंडहर में तब्दील स्वास्थ्य उपकेंद्र उसकी बानगी भर हैं। कहीं उपकेंद्र पर चिकित्सक नहीं है, तो कहीं सुविधाओं का अभाव है। ऐसे में क्षेत्र के लोगों का बेहतर इलाज का सपना चकनाचूर होता दिखाई दे रही है।
छतारी और देहात क्षेत्र में दर्जनभर स्वास्थ्य उपकेंद्र बने हैं। क्षेत्र के गांव चौढ़ेरा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पिछले काफी समय से चिकित्सक की तैनाती नहीं है। केवल फार्मासिस्ट के सहारे अस्पताल चल रहा है। वहीं गांव सुल्तानपुर बिलौनी में चिकित्सक तैनात नहीं है और अस्पताल की हालत पूरी तरह से खस्ता हैं। पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुके स्वास्थ्य उपकेंद्र में जुआरियों का जमावड़ा दिनभर लगा रहता है। इसके अलावा गांव त्यौर बुजुर्ग, बहलोलपुर, कमौना, बरकातपुर, पंडरावल आदि स्वास्थ्य उपकेंद्रों की हालत भी खस्ता है। ऐसे में स्वास्थ्य उपकेंद्रों से इलाज का सपना टूटता हुआ नजर आ रहा है। गांवों में स्वास्थ्य उपकेंद्र होने के बाद भी ग्रामीणों को पहासू समेत अन्य अस्पतालों की तरफ रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। लोगों का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक वह शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। एसडीएम शिकारपुर पदम सिंह का कहना है कि इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है।