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केंद्र के इशारे पर हटी गिलानी की नजरबंदी : फारुख

संसू, बुगरासी, (बुलंदशहर): जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि महबूबा

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Mar 2018 10:54 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2018 10:54 PM (IST)
केंद्र के इशारे पर हटी गिलानी की नजरबंदी : फारुख

संसू, बुगरासी, (बुलंदशहर):

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि महबूबा मुफ्ती सरकार के निर्णय केंद्र सरकार लेती है। ऐसे में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की नजरबंदी भी केंद्र के इशारे पर ही हटी होगी।

बुगरासी कस्बे में एक विवाह समारोह में पहुंचे फारुख अब्दुल्ला ने शुक्रवार देर रात पत्रकारों से वार्ता में गिलानी की नजरबंदी हटाने के जम्मू-कश्मीर सरकार के निर्णय पर कहा कि अभी उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है तो यह निर्णय केंद्र सरकार के इशारे पर ही हुआ होगा, क्योंकि महबूबा मुफ्ती सरकार के निर्णय दिल्ली दरबार से ही लिए जाते हैं। कहा, पीडीपी-बीजेपी शासन में कश्मीर के हालात बिगड़े हैं। कश्मीर समस्या के समाधान को तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की बात दोहराते हुए बोले, उन्होंने कभी नहीं कहा कि इस मामले में केवल अमेरिका ही मध्यस्थता करे। हालांकि कारगिल युद्ध में अमेरिका ने हस्तक्षेप किया था। भारत के दुनिया में और भी तमाम मित्र देश हैं, जिनकी मदद बातचीत में ली जा सकती है। अब्दुल्ला ने कहा कि समाधान तभी संभव है जब कश्मीर का पाकिस्तान के पास वाला हिस्सा उसके पास और हमारा हिस्सा हमारे पास रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी यही सुझाव दिया था। 70 साल से वो ¨हदुस्तान का हिस्सा नहीं है।

पाक के पास भी एटम बम है

अगर हम यह समझते हैं कि ताकत से उनका हिस्सा ले सकते हैं तो यह गलतफहमी है। हमारी तरह पाक के पास भी एटम बम है। यदि दोनों मुल्कों ने एटम बम का इस्तेमाल किया तो ¨हदुस्तान रहेगा न पाकिस्तान और करोड़ों लोगों का जीवन भी खत्म हो जाएगा।

कहा, जब हम अपने हिस्से को नहीं संभाल पा रहे तो उस हिस्से को लेकर क्या करेंगे? समस्या समाधान के लिए भटके हुए नौजवानों को मुख्यधारा से जोड़ने की जरूरत है।

बातचीत से निकलेगा रास्ता

पाकिस्तान से बातचीत के सवाल पर फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि हमारी सरकार की हठधर्मिता है कि पहले आतंकवाद बंद करो, तब बात करेंगे। जबकि आतंकवाद तब बंद होगा जब दोनों समझेंगे कि बातचीत से कोई रास्ता निकल सकता है।

हमने भी कुर्बानियां दी हैं

कहा कि देश में मुसलमानों पर शक किया जाता है, जबकि हमने भी ¨हदुस्तान के लिए कुर्बानियां दी हैं। मेरे चचेरे भाई व मंत्रियों को आतंकवादियों ने मारा था। नेशनल कांफ्रेस के 1500 से अधिक कार्यकर्ताओं ने कश्मीर में तिरंगे की खातिर जान दे दी। हमें जाना होता तो हम लोग 1947 में ही पाकिस्तान चले जाते।

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'मैं नहीं बनूंगा प्रधानमंत्री'

2019 के लोकसभा चुनाव के मुद्दे पर फारुख ने कहा कि विपक्षी एकता के अच्छे अवसर हैं। ममता बनर्जी भी इस ओर गंभीरता से प्रयासरत हैं। विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा? अब्दुल्ला ने मजाकिया लहजे में कहा कि-'इतना तय है कि मैं तो प्रधानमंत्री नहीं बनूंगा।'


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