जुबां पर था दोस्ती का रिश्ता, जेहन में था खूनखराबा
हम दोस्त हैं। दोस्त हमेशा सुख-दुख में ही काम आता है। कभी हमें अपने से अलग मत समझना। कुछ इसी तरह की बात करके भारत और अंकुश ने मृतक व्यापारी के दिल में जगह बना रखी थी लेकिन उनके जेहन में तो खूनखराबा चल रहा था।
जेएनएन, बुलंदशहर। हम दोस्त हैं। दोस्त हमेशा सुख-दुख में ही काम आता है। कभी हमें अपने से अलग मत समझना। कुछ इसी तरह की बात करके भारत और अंकुश ने मृतक व्यापारी के दिल में जगह बना रखी थी, लेकिन उनके जेहन में तो खूनखराबा चल रहा था। उन्होंने कई बार प्लानिग बनाई कि राजेंद्र का अपहरण करने के बाद वह लाखों रुपये वसूलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं कर पा रहे थे। पिछले तीन दिन से उन्होंने प्लानिग करनी शुरू की। जिसके बाद पूरी प्लानिग के तहत वारदात को अंजाम दिया।
गांव इमलिया निवासी राजेंद्र की दोस्ती भारत और अंकुश से करीब तीन साल पहले हुई थी। जहां पर राजेंद्र की परचून की दुकान थी। उसी के सामने एक लोहे की फैक्ट्री में भारत काम करता था। पहले राजेंद्र से भारत की दोस्ती हुई। इसके बाद भारत के जरिए ही अंकुश की दोस्ती राजेंद्र से हुई। तीनों दोस्त हमेशा साथ बैठते थे और बीयर का सेवन करते थे। राजेंद्र अपने दोनो दोस्तों पर बेहद विश्वास करता था। इसलिए वह विश्वास करके शुक्रवार की दोपहर भारत के साथ बाइक पर बैठकर चला गया। पुलिस पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि उन्होंने तीन दिन पहले ही प्लानिग कर ली थी कि राजेंद्र की हत्या करने के बाद वह फोन पर फिरौती मांगेंगे, ताकि उसके परिजनों को लगे कि राजेंद्र का किसी बड़े बदमाश ने अपहरण किया है। वह बच जाएंगे। इसी प्लानिग के तहत आरोपितों ने वारदात को अंजाम दिया। एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि राजेंद्र से भारत ने काफी पैसा उधार ले रखा था। यह पैसा न देना पड़े। इसलिए भारत ने अपने दोस्त के साथ मिलकर राजेंद्र का कत्ल किया है। गोलियां खरीदते हुए देखा गया भारत
स्याना अड्डे स्थित एक मेडिकल स्टोर से भारत ने नशे की गोलियां खरीदी। इन गोलियों को खरीदते हुए पास के ही एक दुकानदार ने भारत को देख लिया था। उस समय भारत के साथ राजेंद्र भी था। जिसके बाद इस दुकानदार ने राजेंद्र के भाई सुरेंद्र और संजय को भारत के बारे में बताया। बाद में पुलिस ने भारत ने हिरासत में लिया तो मामला खुला।