अधूरी रही राहत पैकेज की उम्मीद, कैसे बदलेंगे पॉटरी उद्योग के हालात
केंद्र के अंतरिम बजट के बाद मंगलवार को प्रदेश सरकार ने भी बजट पेश कर दिया। जिसमें भी पॉटरी उद्योग को संजीवनी नहीं मिल सकी है। हालांकि एक जिला एक उत्पाद को मिले बजट से कारोबारियों को राहत पैकेज की उम्मीद लगी हुई है।
बुलंदशहर, जेएनएन। केंद्र के अंतरिम बजट के बाद मंगलवार को प्रदेश सरकार ने भी बजट पेश कर दिया। जिसमें भी पॉटरी उद्योग को संजीवनी नहीं मिल सकी है। हालांकि एक जिला एक उत्पाद को मिले बजट से कारोबारियों को राहत पैकेज की उम्मीद लगी हुई है। बशर्ते सरकार इस योजना में चयनित पॉटरी उद्योग की तरफ ध्यान दें।
खुर्जा पॉटरी उद्योग को बजट में लगातार दरकिनार किया जाता है। जिससे उद्योग को चार चांद नहीं लग सके हैं। कारोबारियों की मांग पर वर्ष 2018 नवंबर माह में प्रदेश सरकार ने पीएनजी (पाइप नेचुरल गैस) पर 26 प्रतिशत वैट को घटाकर दस प्रतिशत कर दिया था। जिसके बाद से कारोबारी अडानी ग्रुप द्वारा गैस के दिए जा रहे बिल में गैस और वैट का मूल्य अलग-अलग दर्शाने की मांग सरकार से करते हुए आ रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी उनकी बजट में कोई सुनवाई नहीं हुई। साथ ही कारोबारियों को आस थी कि बजट में पॉटरी उद्योग की सड़कों और नालियों की मरम्मत के लिए अलग से ध्यान दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके अलावा मांग के बाद भी इस उद्योग को हस्तशिल्प कला में घोषित नहीं किया गया। जिससे जूता, रेडीमेड समेत अन्य उद्योगों की तरह इस पर पांच प्रतिशत जीएसटी की दर लग सके। ऐसे में उनकी यह मांग अभी भी बनी हुई है। हालांकि बजट में एक जिला एक उत्पाद योजना के लिए 250 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। जिससे इस योजना में चयनित उद्योग को लाभ मिलने की उम्मीद है। जिसको लेकर कारोबारी आने वाले दिनों में डीएम और नेताओं से वार्ता करेंगे कि योजना के तहत उद्योगों के विकास के लिए बजट खर्च किया जाए।
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बोले पॉटरी कारोबारी...
एक जिला एक उत्पाद योजना के लिए 250 करोड़ का बजट मिला है। इस बजट में सरकार को पॉटरी उद्योग के लिए अलग से पैकेज देने की व्यवस्था की जानी चाहिए। जिससे उद्योग के हालत सुधर सके।
--दर्शन छतवाल, पॉटरी कारोबारी। गुजरात की तरह खुर्जा के पॉटरी उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में प्रदेश सरकार को कदम उठाया चाहिए था, लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिससे उद्योग को बढ़ावा मिल सके।
--संजीव बंसल, पॉटरी कारोबारी। केंद्र सरकार हो या फिर प्रदेश सरकार हर बार पॉटरी उद्योग को बजट से निराशा ही हाथ लगी है। प्रदेश सरकार के इस बजट से काफी उम्मीद लगी हुई थी, लेकिन वह उम्मीद टूट गई।
--नईमुद्दीन कुरैशी, पॉटरी कारोबारी। क्रॉकरी उत्पादों पर लगने वाली जीएसटी दर को पांच प्रतिशत करने की दिशा में प्रदेश सरकार को कदम उठाना चाहिए था, लेकिन सरकार ने इस दिशा में कारोबारियों की मांग के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया है।
--हबीब कुरैशी, पॉटरी कारोबारी।