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दूसरे दिन भी हटा अतिक्रमण, जाम लगाने का प्रयास

गांधी गंगा घाट पर हुए हादसे के बाद प्रशासन लगातार व्यवस्था करने में जुटा है। मंगलवार को भी सिचाई विभाग के अधिकारियों ने घाट पर पहुंचकर लगभग 200 अवैध दुकानों को हटाया। सोमवार को भी अफसरों ने 400 से अधिक दुकानों को हटाया था। मंगलवार को लगभग घाट पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि जरूरत पड़ी तो बुधवार को भी अतिक्रमण को हटाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 11:20 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 06:02 AM (IST)
दूसरे दिन भी हटा अतिक्रमण, जाम लगाने का प्रयास
दूसरे दिन भी हटा अतिक्रमण, जाम लगाने का प्रयास

बुलंदशहर, जेएनएन। गांधी गंगा घाट पर हुए हादसे के बाद प्रशासन लगातार व्यवस्था करने में जुटा है। मंगलवार को भी सिचाई विभाग के अधिकारियों ने घाट पर पहुंचकर लगभग 200 अवैध दुकानों को हटाया। सोमवार को भी अफसरों ने 400 से अधिक दुकानों को हटाया था। मंगलवार को लगभग घाट पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि जरूरत पड़ी तो बुधवार को भी अतिक्रमण को हटाया जाएगा। मंगलवार को कुछ दुकानदारों ने खफा होकर हाईवे पर जाम लगाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने जाम नहीं लगने दिया।

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सड़क हादसे के बाद हुई जांच में सामने आया था कि गांधी गंगा घाट पर अतिक्रमण नहीं होता तो हादसा नहीं होता। क्योंकि बस को हाईवे से अलग खड़े होने का स्थान मिल जाता। मंगलवार को सिचाई विभाग के एसडीओ जुल्फिकार पुलिस बल के साथ दोपहर के समय अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचे। जब उन्होंने अतिक्रमण हटाना शुरू किया तो मौके पर सैकड़ों दुकानदार एकत्रित हो गए। उन्होंने सिचाई विभाग के अधिकारियों को चेतावनी दी कि वह उनकी जेसीबी दुकानों पर नहीं चलने देंगे। जिसके बाद अधिकारियों ने पुलिस बल बुलाया और भीड़ को वहां से हटाया। इसके बाद भीड़ हाईवे पर बैठने लगी और जाम लगाने का प्रयास किया। यहां भी पुलिस ने भीड़ को समझाया और जाम नहीं लगने दिया। मंगलवार को जो 200 दुकानें हटाई गई है। वहां पर यात्री शेड की व्यवस्था हो सकती है।

पुलिस के साथ हुई नोकझोक

जिस समय सिचाई विभाग के अधिकारियों को दुकानदारों ने घेर लिया और हंगामा करने लगे तो पुलिस ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। घंटों तक दुकानदार बहस करते रहे। इस दौरान पुलिस के साथ दुकानदारों की नोकझोक भी हुई। बाद में दुकानदारों को लगा कि दुकाने तो हटानी पड़ेगी। इसके बाद कुछ दुकानदारों ने खुद की दुकानों को हटाना शुरू कर दिया।


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