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बच्चों की ममता की जगह फर्ज को बड़ा समझ डा. सीमा बनी मिशाल

महिलाओं के लिए निश्चित किए गए दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को घर समाज व देश को नई दिशा देने के लिए मनाया जाता है। सीएचसी जहांगीराबाद में संविदा पर तैनात डा. सीमा थापा ने डाक्टर पति के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर कोरोना का मुकाबला किया। कोराना महामरी में छोटे-छोटे बच्चों को छोड़ लोगों की सेवा में जुट महिलाओं की जीवटता और जिजीविषा को साबित किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 11:09 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 11:09 PM (IST)
बच्चों की ममता की जगह फर्ज को बड़ा समझ डा. सीमा बनी मिशाल

जेएनएन, बुलंदशहर। महिलाओं के लिए निश्चित किए गए दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को घर, समाज व देश को नई दिशा देने के लिए मनाया जाता है। सीएचसी जहांगीराबाद में संविदा पर तैनात डा. सीमा थापा ने डाक्टर पति के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर कोरोना का मुकाबला किया। कोराना महामरी में छोटे-छोटे बच्चों को छोड़ लोगों की सेवा में जुट महिलाओं की जीवटता और जिजीविषा को साबित किया। वैश्विक कोरोना महामारी ने इंसान को दूसरा जीवन देने वाले डाक्टरों की जमकर परीक्षा ली। धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टरों ने स्वयं और परिवार के लोगों की परवाह किए बिना कोरोना संक्रमित लोगों की सेवा के लिए सबकुछ अर्पित कर दिया। कस्बा जहांगीराबाद की रहने वाली डा. सीमा थापा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जहांगीराबाद पर संविदा पर डाक्टर के पद पर तैनात हैं। इनके पति डा. राकेश कुमार भी सीएचसी ऊंचागांव पर संविदा पर तैनात हैं। जब कोविड-महामारी अपने चरम पर थी, तो ये दंपती अवकाश लेने की बजाय रोज लोगों की सेवा में जुटे रहे। डा. सीमा थापा के ढाई साल का बेटा अर्नव और सात साल की बेटी कीर्तिका है। जिनकी देखभाल के लिए उन्होंने घर पर नौकरानी लगा रखी है। कोरोना महामारी जब अपने पूरे चरम थी लाकडाउन में नौकरानी ने भी आना बंद कर दिया। कोरोना महामारी में मां की ममता और फर्ज ने डा. सीमा थापा को दोराहा पर खड़ा कर दिया लेकिन स्वयं और बच्चों की परवाह किए बिना वह हाटस्पाट क्षेत्र में घर -घर घूम पहुंच की अपनी ड्यूटी करती रहीं। डाक्टर दंपती स्वयं और बच्चों की परवाह किए कोरोना संक्रमण से जंग में जुटे रहे।

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मां की ममता से बड़ा समझा फर्ज

डा. सीमा थापा ने कोरोना महामारी में मा की ममता से ज्यादा अपने फर्ज को फर्ज को तरजीह दी। वह ड्यूटी के दौरान ढाई साल के बच्चे और सात साल की बेटी को पड़ोसियों के पास छोड़ हाटस्पाट क्षेत्रों में घर-घर जाकर जांच करने में जुटी रहीं।

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ड्यूटी के दौरान हो गई संक्रमित

वह हाटस्पाट क्षेत्रों में घर-घर जाकर लोगों की जांच करने के दौरान वह कोरोना संक्रमित हो गई थी। कोरोना से जंग जीतने के बाद भी फिर से अपनी ड्यूटी पर पहुंच कर लोगों की सेवा में जुटी रहीं।


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