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ओलावृष्टि और बारिश से बर्बाद फसल के बीमा पर संशय

रबी की फसलों पर ओलावृष्टि और बारिश की मार पड़ी है। पीड़ित किसानों ने फसल बीमा योजना के अंतर्गत संबंधित कंपनी के प्रतिनिधियों से शिकायत की लेकिन आज तक इनकी बर्बाद फसलों का आंकलन नहीं हुआ है। प्रभारी मंत्री ने मामले में दखल दिया तो कंपनी ने कुछ किसानों की शिकायत मुख्यालय के पॉर्टल पर शिकायत दर्ज की लेकिन आज तक फसलों का आंकलन नहीं हो पाया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 12:07 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 06:04 AM (IST)
ओलावृष्टि और बारिश से बर्बाद फसल के बीमा पर संशय
ओलावृष्टि और बारिश से बर्बाद फसल के बीमा पर संशय

बुलंदशहर, जेएनएन। रबी की फसलों पर ओलावृष्टि और बारिश की मार पड़ी है। पीड़ित किसानों ने फसल बीमा योजना के अंतर्गत संबंधित कंपनी के प्रतिनिधियों से शिकायत की लेकिन आज तक इनकी बर्बाद फसलों का आंकलन नहीं हुआ है। प्रभारी मंत्री ने मामले में दखल दिया तो कंपनी ने कुछ किसानों की शिकायत मुख्यालय के पॉर्टल पर शिकायत दर्ज की, लेकिन आज तक फसलों का आंकलन नहीं हो पाया है। केंद्र सरकार ने योजना में परिवर्तन करते हुए किसानों की स्वेच्छा पर फसल बीमा कराने की छूट दी है।

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कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर और फरवरी में हुई ओलावृष्टि से रबी की फसलों में भारी नुकसान हुआ। किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा यूनीवर्सल सेंपो के प्रतिनिधियों से 820 शिकायतें दर्ज कराई हैं। काफी दिन बीतने के बाद भी पीड़ित किसानों की फसलों का मौके पर पहुंचकर आंकलन नहीं किया गया। इस मामले में किसानों ने जनप्रतिनिधियों और कृषि विभाग के अधिकारियों से शिकायत की। जनवरी में प्रभारी मंत्री अशोक कटारिया ने जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के साथ बैठक की। यहां जनप्रतिनिधियों ने किसानों की पीड़ा को उठाया तो प्रभारी मंत्री ने फसलों का आंकलन करने के आदेश कंपनी के प्रतिनिधियों को दिए। क्षेत्र प्रवेक्षक रोहित अरोड़ा ने बताया कि 72 घंटों में मात्र 320 किसानों की शिकायत आई हैं। जिनका ब्योरा मुख्यालय को भेज दिया गया है, लेकिन यहां से अभी तक कोई आदेश नहीं आया।

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नियमों में उलझी योजना

जिले में कुछ ग्राम ऐसे हैं, जिनमें रबी सीजन में गेहूं और ज्यौ को ही मानक माना गया है। जबकि, कुछ गांव ऐसे हैं जिनमें से फसल उत्पादन तो होती हैं, लेकिन कंपनी की गाइडलाइन में अंकित नहीं की गई। इसके साथ ही वित्तीय वर्ष में योजना में कुछ परिवर्तन हुआ है, इसके चलते बैंकों ने अभी तक किसानों के खातों से बीमे का प्रीमियम नहीं काटा है।

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इन्होंने कहा..

29 फरवरी और एक मार्च में ओलावृष्टि की संभावना जताई जा रही है। यदि ओलावृष्टि हुई तो गेहूं की फसल को काफी नुकसान होगा, क्योंकि गेहूं में बाली के अंकुर फूटने लगे हैं। जिन गेहूं में वजन हो जाएगा वह टूटकर जमीन पर गिर जाएगा। पछैती फसल को इसमें कम नुकसान होगा। इसके साथ ही आलू की खुदाई प्रभावित होगा और आलू खराब होने की उम्मीद है। सरसों के फूल पर फल बनने लगा है, बारिश और ओलावृष्टि सरसों की फसल को बर्बाद कर देगी। किसानों को सलाह है कि उक्त तीनों फसलों को पानी न दें और पांच मार्च के बाद ही सिचाई पर विचार करें।

-अमरपाल सिंह, कृषि रक्षा अधिकारी।


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