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श्राद्ध पक्ष में खूब कीजिए खरीदारी

श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों का पूजन-तपर्ण करें। जलांजलि तिलांजलि और पितरों को पिडदान करने का श्राद्ध पक्ष में शुभ अवसर मिलता है। पितरों पर ध्यान देने उनके चरित्र जीवन पुराने कर्मों को याद करने में लोग लगे रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 07:25 PM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 07:25 PM (IST)
श्राद्ध पक्ष में खूब कीजिए खरीदारी
श्राद्ध पक्ष में खूब कीजिए खरीदारी

बुलंदशहर, जेएनएन। श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों का पूजन-तपर्ण करें। जलांजलि, तिलांजलि और पितरों को पिडदान करने का श्राद्ध पक्ष में शुभ अवसर मिलता है। पितरों पर ध्यान देने, उनके चरित्र, जीवन, पुराने कर्मों को याद करने में लोग लगे रहे। इसलिए पितृ पक्ष में शुभ कार्य एवं खरीदारी आदि न करने की धार्मिक तौर पर मान्यताएं बन गई। जबकि धर्म मानव को नियमबद्ध तरीके से जीवन जीने में सहायता करते हैं। पितरों का तर्पण और श्राद्ध अवश्य करें। शुभकर्म करते हुए उनका आशीर्वाद लें। उन्हें समर्पित करते हुए खरीदारी आदि कर सकते हैं। यह कहना है श्रीद्वादश लिगेश्वर सिद्धमहापीठ के संस्थापक आचार्य मनजीत धर्मध्वज का।

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पूर्वजों का आगमन शुभ

उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी और नवरात्र के बीच श्राद्ध पक्ष आता है। इस दौरान पृथ्वी पर हमारे पूर्वज अवतरित होते हैं। ऐसे में उनका आगमन हमारे लिए कल्याणकारी है। हमें सुखी और प्रसन्न देखने पर वह भी प्रसन्न होंगे। जबकि शास्त्रों में कहीं भी इस प्रकार का उल्लेख नहीं मिलता है कि श्राद्ध पक्ष में खरीदारी नहीं करनी चाहिए। ऐसे में श्राद्ध पक्ष में खरीदारी को अशुभ मानना उचित नहीं है लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार नए या शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। खरीदारी आदि करने से लोग परहेज करते हैं। लंबे समय से चली इन मान्यताओं की भ्रांतियों को लोगों को जागरूक करके ही दूर किया जा सकता है।

हर साल लगता है कारोबार को करोड़ों का फटका

व्यापारी सुरक्षा फोरम के महानगर अध्यक्ष गौरव जिदल का कहना है कि समाज में पूर्वजों की बनाई मान्यता चली आ रही हैं। जिनके अनुसार लोग श्राद्ध पक्ष में खरीदारी नहीं करते हैं। कोई नया काम भी नहीं किया जाता है। खासकर किसी वस्तु का क्रय-विक्रय न करना आदि। इन 15-16 दिनों तक ग्राहक नहीं आने की वजह से बाजार बेरौनक हो जाते हैं। जिसके चलते बाजार को हर साल श्राद्ध पक्ष में अरबों रुपये का नुकसान होता है। जबकि पुरानी परंपराओं के सहारे चली आ रही भ्रांतियां दूर होनी चाहिए। पितृ पक्ष में पूर्वजों के अच्छे कार्यों को याद करना चाहिए। उनके अनुभवों से प्रेरणा लेकर उनके बताए रास्ते पर चलना चाहिए।


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