जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ एक तरफा पारित हुआ अविश्वास प्रस्ताव
जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर चल रहे दंगल का सोमवार को फाइनल मुकाबला हुआ। मुकाबले में जिला पंचायत अध्यक्ष रहे प्रदीप चौधरी के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते हुए 44 जिपं सदस्यों ने मतदान किया।
बुलंदशहर : जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर चल रहे दंगल का सोमवार को फाइनल मुकाबला हुआ। मुकाबले में जिला पंचायत अध्यक्ष रहे प्रदीप चौधरी के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते हुए 44 जिपं सदस्यों ने मतदान किया। हालांकि खुद अध्यक्ष इस मुकाबले से दूर ही रहे। अविश्वास प्रस्ताव के बाद अब जिला पंचायत के भविष्य को लेकर मंथन शुरू हो गया है।
पिछले काफी समय से जिला पंचायत में घमासान मचा हुआ है। जिला पंचायत अध्यक्ष रहे प्रदीप चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर काफी समय से तैयारियां चल रही थी। मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष की याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया सोमवार को पूर्ण की गई। अविश्वास प्रस्ताव के लिए सुबह-सवेरे से ही भारी संख्या में फोर्स को कलक्ट्रेट परिसर में अंदर और बाहर तैनात किया गया और खुद डीएम अभय ¨सह और एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर अधिकारियों को निर्देशित किया। सुबह दस बजे कुल 53 जिला पंचायत सदस्यों में से 44 सदस्य जिला पंचायत कार्यालय पहुंचे। यहां सभी जिपं सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के आठ ¨बदुओं पर एसीजेएम की देखरेख में चर्चा की। जिपं सदस्य सुनील चरौरा ने अविश्वास प्रस्ताव के ¨बदुओं को सदन के सामने रखा। चर्चा के बाद में मतदान के लिए सहमति जताई। सदन में मौजूद सभी जिपं सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के ¨बदुओं का समर्थन करते हुए अध्यक्ष के खिलाफ मतदान किया। दोपहर एक बजे तक चले मतदान के बाद मतों की गिनती की गई और बाद में अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूर्ण होने की घोषणा की गई। बाद में सभी सदस्यों को गाड़ी में बैठाकर जिपं परिसर से निकाला गया। अविश्वास प्रस्ताव में शामिल सभी सदस्य बाद में एक होटल में पहुंचे और आगे की रणनीति की लिए मंथन किया।
नहीं आए जिपं अध्यक्ष
अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया के दौरान सभी को उम्मीद थी कि प्रदीप चौधरी भी पहुंचेंगे। लेकिन वह नहीं आए। उधर, अविश्वास प्रस्ताव में शामिल न होने वालों जिपं सदस्यों में ममता यादव, शशांक भाटी, पंकज प्रधान, रेनू चौधरी, सुरेंद्र पाल, सुमन शर्मा, कदीम फड्डा, अजय प्रमुख शामिल रहे। अविश्वास प्रस्ताव में शामिल न होने वाले पंकज प्रधान ने अपनी आस्था पूर्व अध्यक्ष के साथ बताई।
अपनों के सितम के हुए शिकार
जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कई मामलों में चर्चाओं में रहा। अविश्वास प्रस्ताव की पैरवी करने वाले कई जिपं सदस्य कुछ समय पहले अध्यक्ष के साथ थे, लेकिन बाद में तमाम कारणों से राहें जुदा हो गई। इसके अलावा जिला पंचायत में कुल 11 जिपं सदस्य जाट समाज से है। अध्यक्ष ने भी समाज का समर्थन अपने साथ होने के तमाम दावे किए। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जाट समाज के आठ सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ मतदान किया।
लखनऊ ने लिया संज्ञान
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर जिले की राजनीति में भी हलचल रही। अध्यक्ष भाजपा से हैं और जिले की लोस और विस सीट पर भी भाजपा का ही कब्जा है। ऐसे में पार्टी द्वारा कुछ किए जाने की भी अटकलें थी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका। उधर, अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों से भी लखनऊ से फोन द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को लेकर जानकारी कई बार ली गई।
आगे की रणनीति पर मंथन
अविश्वास प्रस्ताव के बाद जिपं सदस्यों ने अध्यक्ष पद को लेकर मंथन किया। साथ ही जिला पंचायत का कार्य सुचारू रखने के लिए डीएम द्वारा प्रशासक बनने या समिति का गठन करने को लेकर भी चर्चाएं रही। हालांकि अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। कुछ सदस्यों ने बताया कि लोक सभा चुनाव के बाद भी अध्यक्ष पद को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। इन्होंने कहा ..
जिला पंचायत को बेहतर करने और जिले के विकास के लिए अच्छा करने का प्रयास किया। कुछ लोगों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर पद से हटाने की साजिश की है। मेरी पूरी निष्ठा पार्टी के साथ है और अब पार्टी हाईकमान के निर्देशों का इंतजार है।
- प्रदीप चौधरी, निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष -----
अविश्वास प्रस्ताव में साबित हो गया है कि सच्चाई की जीत हुई है। बड़ी संख्या में जिपं सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया में भाग लिया। अब आगे की रणनीति आपसी विमर्श के बाद बनाई जाएगी।
महेंद्र भैया, पूर्व जिपं अध्यक्ष प्रत्याशी