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खौफ और तनाव में बीते दिन, हर पल आई घर ही याद

राजस्थान में कोरोना वायरस के जोर पकड़ते ही कोटा शहर में कोचिग कर रहे सभी छात्रों के बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई। सभी छात्र दिनभर अपने कमरों में रहते और कोचिग प्रबंधन की ओर से खाना नाश्ता उपलब्ध करा दिया जाता।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2020 10:45 PM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2020 10:45 PM (IST)
खौफ और तनाव में बीते दिन, हर पल आई घर ही याद
खौफ और तनाव में बीते दिन, हर पल आई घर ही याद

बुलंदशहर, जेएनएन। राजस्थान में कोरोना वायरस के जोर पकड़ते ही कोटा शहर में कोचिग कर रहे सभी छात्रों के बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई। सभी छात्र दिनभर अपने कमरों में रहते और कोचिग प्रबंधन की ओर से खाना, नाश्ता उपलब्ध करा दिया जाता। लेकिन महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण सभी छात्र खौफ और तनाव में आ गए थे। रोज परिजनों से बात करते-करते कई छात्र भावुक हो जाते थे। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें घर पहुंचाने की जानकारी मिली तो जान में जान आई। सोमवार को बुलंदशहर 12 छात्र पहुंचे हैं, जिन्हें होम क्वारंटाइन किया गया है।

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कोरोना वायरस का प्रकोप देश में फैलने से पहले सब कुछ ठीक था, लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर होते ही लॉकडाउन का एलान हुआ और आम के साथ खास भी अपने घरों में पहुंच गए। ऐसे में राजस्थान के कोटा शहर में कंप्टीशन की तैयारी करने गए छात्रों को भी मुसीबतों ने घेर लिया। सोमवार को प्रदेश सरकार के प्रयास से 12 छात्र बुलंदशहर पहुंचे तो बस से उतरे ही कुछ छात्र भावुक हो गए। छात्रों की जांच-पड़ताल के बाद उन्हें होम क्वारंटाइन में भेज दिया गया। हास्टल के कमरे में रहे, होती थी जांच

गांव धनौरा निवासी छात्र कुशल कुमार ने बताया कि महामारी का प्रकोप बढ़ते ही उन्हें हॉस्टल में रहने के लिए कहा गया और कमरे में ही टीम ने छात्रों की तीन बार स्वास्थ्य जांच की है। साथ ही समय-समय पर स्वास्थ्य और प्रशासनिक टीम उन्हें कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रति जागरूक तथा बचाव के उपाय बताने हॉस्टल में पहुंचती थी। लेकिन लगातार बढ़ते प्रकोप के कारण छात्र डर गए थे। घर ही याद आती थी

कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव रमपुरा निवासी छात्र मोहित कुमार ने बताया कि 22 से जनता क‌र्फ्यू के बाद लगे लॉकडाउन के चलते हॉस्टल में ही रहने के निर्देश इंस्टीट्यूट प्रबंधन ने दिए थे। हॉस्टल के कमरे में ही नाश्ता, खाना पहुंचा दिया जाता था। लेकिन सभी के मन में खौफ था और घर की बहुत याद आती थी। बाद में परिजनों ने प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए निर्णय की जानकारी दी तो, जान में जान आई।


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