बीमार बच्चे को लेकर इमरजेंसी पहुंचा दंपती, चिकित्सकों ने भगाया
कोरोना महामारी और लॉकडाउन में इमरजेंसी में बेहतर इलाज देने के दावों की सोमवार को पोल खुल गई। हसनपुर फकरूद्दीनपुर उर्फ नई बस्ती निवासी एक दंपती मासूम बेटे के इलाज के लिए जिला अस्पताल की इमरजेंसी में विनती करते रहे लेकिन चिकित्सकों ने उसे भगा दिया।
बुलंदशहर, जेएनएन। कोरोना महामारी और लॉकडाउन में इमरजेंसी में बेहतर इलाज देने के दावों की सोमवार को पोल खुल गई। हसनपुर फकरूद्दीनपुर उर्फ नई बस्ती निवासी एक दंपती मासूम बेटे के इलाज के लिए जिला अस्पताल की इमरजेंसी में विनती करते रहे लेकिन चिकित्सकों ने उसे भगा दिया। लाचार और बेबस अपनी पीड़ा सुनाने के लिए कलक्ट्रेट पहुंचा तो डीएम से मुलाकात नहीं हो सकी।
शैलेंद्र कुमार ने बताया कि वह नोएडा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था। लॉकडाउन में नौकरी चली गई। तीन साल का इकलौता बेटा गंभीर बीमारी से ग्रस्त है। लॉकडाउन में रोटी और बच्चे की दवा में जेब खाली हो गई। बेटे की तकलीफ बढ़ी तो वह सोमवार दोपहर उसे लेकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचा लेकिन चिकित्सकों ने देखने से इन्कार कर दिया। शैलेंद्र ने बताया कि वह और उसकी पत्नी काफी देर तक इमरजेंसी में तैनात कर्मचारी और चिकित्सकों से विनती करते रहे लेकिन एक नहीं सुनी गई। उसने कर्मचारियों से डीएम से शिकायत करने की बात भी कही लेकिन उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इसके बाद दंपती कलक्ट्रेट पहुंचा और प्रार्थना पत्र लेकर आधा घंटे तक डीएम के दफ्तर के बाहर इंतजार किया। शैलेंद्र ने बताया कि वह बेटे का इलाज कराते-कराते थक गया है अब उससे मदद की जरूरत है। इसलिए डीएम के पास आया था। साहब मिलेंगे नहीं शिकायती पत्र दे दो
परेशान दंपती कलक्ट्रेट में डीएम दफ्तर के बाहर पेड़ के नीचे बैठा रहा। लेकिन कर्मचारी ने नहीं मिलने दिया। कर्मचारी ने उनसे कहा कि साहब किसी से मिलेंगे नहीं। प्रार्थनापत्र दे दो मैं पहुंचा दूंगा। इंतजार के बाद वापस गांव लौट गए। इन्होंने कहा
इमरजेंसी सेवा बहाल हैं। मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। इलाज होना चाहिए। किसने मना किया है। इसका पता करेंगे। कल मैं बैठूंगा पीड़ित मेरे पास आया तो जांच के बाद कार्रवाई भी होगी।
डा. भवतोष शंखधर, सीएमओ।