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प्रकाशोत्सव पर्व पर नगर कीर्तन निकाला

श्री गुरुनानक देव जी महाराज के 551 वें प्रकाश उत्सव पर्व सिख समाज के लोगों ने धूमधाम से नगर कीर्तन और प्रभात फेरी निकाली गई। गुरुद्वारों में कीर्तन और पाठ का आयोजन किया गया। शहर के अलग-अलग बाजार और रास्तों से प्रभात फेरी निकली।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 11:28 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 11:28 PM (IST)
प्रकाशोत्सव पर्व पर नगर कीर्तन निकाला

जेएनएन, बुलंदशहर। श्री गुरुनानक देव जी महाराज के 551 वें प्रकाश उत्सव पर्व सिख समाज के लोगों ने धूमधाम से नगर कीर्तन और प्रभात फेरी निकाली गई। गुरुद्वारों में कीर्तन और पाठ का आयोजन किया गया। शहर के अलग-अलग बाजार और रास्तों से प्रभात फेरी निकली। कई स्थानों पर प्रभात फेरी का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।

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प्रकाशोत्सव की खुशी में सुबह छह बजे पंज प्यारों की अगवाई श्री गुरुग्रंथ साहिब की छत्रछाया में नगर कीर्तन शहर के मुख्य बाजारों से होते हुए साढ़े नौ बजे गुरुद्वारा साहिब पहुंचा। रास्ते में चौक बाजार में प्रसाद वितरण किया गया। श्री अखंड पाठ साहिब की समाप्ति आनंद साहिब का पाठ करके सलविदर सिंह ने अरदास करके हुक्मनामा लिया। कीर्तन दीवान में भाई महेंद्र जीत सिंह ने हजूरी रागी जत्थे ने कीर्तन व विचारों से गुरुसाहिब के जीवन पर प्रकाश डाला। भाई जसप्रीत सिंह भटिडा वालों के जत्थे ने कीर्तन द्वारा संगतों को निहाल किया। मुख्य ग्रंथी ज्ञानी सलविदर सिंह ने गुरू साहिब के उपदेश सुनाकर अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित किया। गुरू के लंगर की सेवा गुरुसेवक जत्थे की तरफ से की गई। कार्यक्रम में शामिल हुई महिलाओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। अध्यक्ष दलजीत सिंह, सचिव कुलजीत सिंह अजमानी, कोषाध्यक्ष इंदरजीत सिंह छाबड़ा, अजीत सिंह अजमानी, गुरमीत सिंह अजमानी, मनीत सिंह, राजीव सिंह, नवतेज सिंह, गुरुदेव सिंह समेत कमेटी के सभी सदस्यों ने सहयोग किया।

अनूपशहर: नगर के श्री हरिराय साहिब गुरूद्वारा में सिख संगत द्वारा गुरू नानक देव की जयंती मनाई गई। नगर में प्रति वर्ष विशाल जलसे का आयोजन किया जाता था, कितु कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष कार्यक्रम निरस्त करके कोरोना को ध्यान में रखकर सामाजिक दूरी के साथ शब्द कीर्तन का आयोजन किया गया। सिख संगत ने प्रसाद के रूप में लंगर का आयोजन भी किया। जिसमें मनजीत सिंह, जसविंदर सिंह, अंकुर, ज्ञानी सिंह, महेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह आदि का योगदान रहा।


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