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बुलंदशहर हिंसा : दहशत में युवा, तीन गांवों में घर और खेत की सारी जिम्मेदारी महिलाओं पर

पुलिस की दबिश से सहमेचिंगरावठी, महाव और नयाबांस गांव के अधिकांश युवा और 45 वर्ष तक के पुरुष घर लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 11:48 AM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 11:48 AM (IST)
बुलंदशहर हिंसा : दहशत में युवा, तीन गांवों में घर और खेत की सारी जिम्मेदारी महिलाओं पर
बुलंदशहर हिंसा : दहशत में युवा, तीन गांवों में घर और खेत की सारी जिम्मेदारी महिलाओं पर

बुलंदशहर, [प्रवीण वशिष्ठ]। गोवंश के अवशेष मिलने की सूचना के बाद तीन दिसंबर को चिंगरावठी चौकी क्षेत्र में हुई हिंसा की तपिश एक सप्ताह बाद भी शिद्दत से महसूस की जा रही है। बुलंदशहर जिले में इस हिंसा ने स्याना विशेषकर चिंगरावठी चौकी क्षेत्र के तीन गांवों का चैन और नींद छीन ली है।

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स्याना में इस हिंसा में भले ही 87 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ हो, लेकिन पुलिस की दबिश से सहमेचिंगरावठी, महाव और नयाबांस गांव के अधिकांश युवा और 45 वर्ष तक के पुरुष घर लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। घर और खेत की सारी जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर आ पड़ी है।

यहां पर हिंसा के एक हफ्ते बाद भी चिंगरावठी, महाव और नयाबांस की गलियां व चौराहे वीरान हैं। अधिकांश घरों पर महिलाएं, वृद्ध और बच्चे ही मौजूद हैं। महिलाएं खेत में गन्ना कटाई से लेकर ढुलाई करने तक के लिए मजबूर हैं। चिंगरावठी निवासी रामकली का सवाल है कि हमारा क्या दोष। अगर खेत खाली नहीं होंगे तो गेहूं कैसे बोया जाएगा। महाव निवासी राजेंद्री कहती हैं कि पशुओं का दूध बेचकर जिंदगी की गाड़ी खींच रहे थे। खल और चूरी समाप्त हो गई है। बाजार से लाने का कोई साधन नहीं है। महाव निवासी मुन्नी देवी और चंद्रवती का कहना है कि महिलाओं को इन दिनों सबसे अधिक परेशानी के दौर के गुजरना पड़ रहा है।

महिलाओं का कहना है कि पुलिस की धर पकड़ से मन आशंकित रहता है। पुलिस किसी को फंसा सकती है। एक महिला का कहना है कि बच्चों के मन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। बच्चे पूछने लगे हैं कि पापा कब आएंगे।

पुलिस-प्रशासन ग्रामीणों पर अत्याचार बंद करे : चेतनानंद

हिंदू स्वाभिमान की राष्ट्रीय अध्यक्ष यति मां चेतनानंद सरस्वती ने स्याना बवाल मामले में पुलिस-प्रशासन से ग्रामीणों पर अत्याचार बंद करने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस का दमनचक्र नहीं रुका तो संगठन के लोग आमरण अनशन करेंगे। सोमवार को डीएम रोड स्थित सिद्धेश्वर मंदिर पर प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा पुलिस-प्रशासन ग्रामीणों पर अंग्रेजों से भी ज्यादा अत्याचार कर रहा है। बिना महिला पुलिसकर्मियों के दबिश दी जा रही है। घरों में तोडफ़ोड़ हो रही है। महिलाओं और बच्चों के साथ मारपीट की जा रही है। पुलिस का रवैया नहीं बदलने पर 16 दिसंबर से काला आम पर आमरण अनशन किया जाएगा। सुमित के घर पहुंचकर उन्होंने कहा कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने अवैध हथियार से सुमित की हत्या की और बाद में खुद को गोली मार ली।

सत्ता में बैठे लोगों ने बुलंदशहर में की थी साजिश : जयंत

राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा बुलंदशहर की घटना एक सोची समझी साजिश है। सत्ता में बैठे लोगों का ही इस साजिश में हाथ है। सूरसदन प्रेक्षागृह में पार्टी के कार्यक्रम में शिरकत करने आए जयंत चौधरी ने पत्रकारों से कहा कि बुलंदशहर में सरकारी तंत्र पूरी तरह विफल है। राजस्थान के चुनाव परिणाम सुखद होंगे। किसानों को उनका लागत मूल्य तक नहीं मिल पा रहा है। भाजपा के लिए राम मंदिर सिर्फ एक चुनावी मुद्दा है।


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