Bulandshahr News: जिला अस्पताल में आवारा कुत्तों का बोलबाला, कोई नहीं देखने वाला... मरीज परेशान
Bulandshahr News जिला अस्पताल की ओपीडी में शनिवार को पहुंचे मरीजों ने चार से छह कुत्तों को घूमते देखा तो दैनिक जागरण को फोन किया। दैनिक जागरण की टीम मौके पर पहुंची तो देखा कि इमरजेंसी के बाहर ओपीडी के अंदर और वार्ड में कुत्ते हैं।
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर: सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर मोटा धन बहा रही है। स्वास्थ्य अफसर भी तमाम दावे करते हैं, जबकि धरातलीय हकीकत यह है कि जिला अस्पताल को आवारा कुत्तों से ही निजात नहीं मिल पा रही है। ओपीडी से वार्ड तक आवारा कुत्तों का बोलबाला है। जब कभी कोई शिकायत होती है या किसी मरीज को कुत्ते काट लेते हैं तो कुत्ते भगाने के नाम पर खानापूर्ति कर इतिश्री कर लेते हैं। इसके बाद फिर से कुत्तों का राज कायम हो जाता है।
दैनिक जागरण की टीम ने मौके पर जाके देखा हाल
जिला अस्पताल की ओपीडी में शनिवार को पहुंचे मरीजों ने चार से छह कुत्तों को घूमते देखा तो दैनिक जागरण को फोन किया। दैनिक जागरण की टीम मौके पर पहुंची तो देखा कि इमरजेंसी के बाहर, ओपीडी के अंदर और वार्ड में कुत्ते हैं। इसके अलावा पर्चा काउंटर के बाहर, हृदय रोग विभाग के बाहर और पोस्टमार्टम हाउस के पास कुत्ते दिखाई दिए। वार्ड में भर्ती मरीज को देखने पहुंचे ऋषिपाल सिंह ने बताया कि वार्ड में मरीजों के बेड के पास तक कुत्ते घूमते रहते हैं। बीमार व्यक्ति को अस्पताल में इसलिए भर्ती किया जाता है, ताकि उसे अच्छे से उपचार मिल सके और कीटाणुओं व अन्य हानिकारक बैक्टीरिया से बचा रहे, लेकिन यहां कुत्ते घूम रहे हैं। जब कुत्ते मरीज के पास सांस छोड़ेगा या खाने-पीने के सामान में मुंह लगा देगा तो कौन देखेगा।
वीआइपी के आने पर कूटे भगाने के लिए लगाते हैं ड्यूटी
अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि जब कोई निरीक्षण होता है या वीआइपी दौरा होता है तो कुत्ते भगाने के लिए दो कर्मचारियों को डंडे देकर लगाया जाता है। वह दिनभर कुत्तों को भगाते रहते हैं, उसके बाद फिर वैसा ही आलम हो जाता है। इसके अलावा शहर पर नजर डालें तो ऐसी कोई सड़क और गली नहीं जहां पर कुत्तों का कब्जा न हो।
बच्ची पर किया था हमला
लगभग तीन साल पहले पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती ककोड़ क्षेत्र की एक बच्ची पर भी कुत्ते ने हमला कर घायल कर दिया था। इसके बाद कुत्ते पकड़ने के लिए अभियान चलाया गया। दो कुत्ते पकड़ने के बाद अभियान बंद हो गया था। वहीं सीएमओ डॉ. विनय कुमार सिंह का कहना है कि कुत्ते पकड़ने के लिए कई बार नगरपालिका को पत्र भेज चुके हैं। एक-दो बार अभियान चलाकर खानापूर्ति कर दी गई। मरीज और तीमारदार भी कुत्तों को टुकड़े डाल देते हैं। इससे भी कुत्ते वार्ड और ओपीडी में पहुंच जाते हैं। कुत्ते पकड़ने के लिए एक बार फिर से पालिका को पत्र भेजा जाएगा।
अपर मुख्य सचिव ने लगाई थी फटकार
बता दें कुत्तों की समस्या वर्ष 2019 में शासन तक भी पहुंची थी। इस पर अपर मुख्य सचिव ने फटकार लगाते हुए तत्कालीन सीएमएस डा. रामवीर सिंह से जवाब मांगा था और कुत्तों की रोकथाम के उपाय के निर्देश दिए थे। कुत्तों की रोकथाम के लिए लाखों रुपये खर्च भी किए गए, थोड़ा बहुत इंतजाम भी हुआ पर कुत्तों से निजात नहीं मिल सकी।