टायरों पर लगा खून, सड़क पर चिपके शरीर.. ये है हादसे की तस्वीर
नरौरा थानाक्षेत्र के गांधी गंगा घाट पर हुए हादसे के चश्मदीद वैसे तो काफी लोग हैं लेकिन जिस पति के सामने उसकी पत्नी कुचली गई हो उस पर क्या बीती होगी।
बुलंदशहर, जेएनएन : नरौरा थानाक्षेत्र के गांधी गंगा घाट पर हुए हादसे के चश्मदीद वैसे तो काफी लोग हैं, लेकिन जिस पति के सामने उसकी पत्नी कुचली गई हो, उस पर क्या बीती होगी। जितेंद्र की पत्नी रेनू भी इस हादसे का शिकार हुई है। जितेंद्र बताते है कि सात लोगों की लाश सड़क पर चिपकी हुई थी और जिस बस से हादसा हुआ, उसके टायर खून से सने थे। यह सब देखकर उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। किसी तरह उसने खुद को संभाला और पत्नी को उठाने के लिए दौड़ पड़ा, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुकी थी।
वैष्णो माता के दर्शन करके लौट रहे बस में सवार मोहनपुरा निवासी शिवराम बताते हैं कि जिस समय हादसा हुआ। उस समय वह मृतकों से मात्र 10 मीटर की दूरी पर खड़े थे। उनका कहना है कि बस चालक ने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा और बस को दूसरी तरफ सड़क किनारे ले जाकर खड़ी कर दी। इसके बाद मरने वाले परिजनों की चीख पुकार मची तो चालक को हादसे के बारे में जानकारी हुई। इसके बाद वह बस को छोड़कर जंगलों की तरफ भाग गया। हालांकि उसे पकड़ने के लिए कुछ लोग दौड़े भी थे, लेकिन सफलता नहीं मिली। बस के पास पहुंचे पीड़ित परिजनों ने उसके टायरों पर लगे खून के निशान के फोटो भी लिए। पुलिस को बताया कि चालक ने जानबूझकर ऐसा किया है। एसएसपी संतोष कुमार का कहना है कि इस हादसे में किसकी लापरवाही रही। इसकी जांच शुरू कर दी गई है। जल्द ही चालक को पकड़ लिया जाएगा।
काश, एक बार बैक कर लेता बस
मौके पर मौजूद चश्मदीदों का कहना है कि जब बस चालक बस को मोड़ रहा था तो उसने नीचे कच्ची जमीन पर बस को उतार दिया और मोड़ते हुए लोगों पर चढ़ा दी। यदि वह एक बार बस को बैक कर लेता तो हादसा नहीं होता।
बड़ों की बात मानते तो न जाती जान
जितेंद्र का कहना है कि बस में गांव के अन्य लोग भी मौजूद थे। जब चालक ने उनकी बस को दो बजे गंगा घाट पर रोका तो कुछ लोगों ने कहा था कि वह उसी समय स्नान करके वापस बस में बैठ जाएं, लेकिन श्रद्धालुओं को अधिक नींद आ रही थी। इसलिए कई की सहमति बनी कि कुछ देर के लिए सो लिया जाए। जिसके बाद यह सात लोग हाईवे से कुछ दूरी पर ही सो गए। यदि वह उसी समय स्नान करके वापस बस में बैठ जाते तो हादसा न होता।