पुलिस संज्ञान लेती तो तेजाब के दर्द से बच जाती शबनम
बुलंदशहर : महिला सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री और डीजीपी चाहे जितने संवेदनशील हों, लेकिन ध्
बुलंदशहर : महिला सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री और डीजीपी चाहे जितने संवेदनशील हों, लेकिन धरातल पर खाकी का तरीका नहीं बदला। तेजाब हमले का शिकार हुईं गांव जौलीगढ़ निवासी तीन तलाक पीड़िता रानी शबनम ने एक माह ही एसएसपी को हमले की आशंका से अवगत करा दिया था। लिखित शिकायत दी गई, लेकिन पुलिस को कार्रवाई तो दूर संज्ञान ही नहीं लिया। खाकी की मनमानी का नतीजा यह हुआ कि गुरुवार को उसका शरीर तेजाब से झुलसा दिया गया।
तीन तलाक को लेकर रानी शबनम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा क्या खटखटाया कि ससुरालीजन के साथ कई कट्टरपंथी उसके खिलाफ हो गए। इसके बावजूद हिम्मत कर रानी शबनम ससुराल में ही दो बच्चों के साथ रह रही है। बड़ा बेटा दिल्ली स्थित मायके में रह रहा है। करीब एक साल पहले पति मुजम्मिल ने उसे तीन बार तलाक बोलकर छोड़ दिया। अपने और बच्चों के हक की आवाज बुलंद करने के लिए उसने ससुराल में ही रहने का निर्णय लिया। तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते ही उसका उत्पीड़न शुरू हो गया। जिंदा जलाने तक की धमकियां मिलने लगीं। इसकी उसने पुलिस से शिकायत की।
गत अगस्त माह में अपने साथ हुई मारपीट के बाद उसने एसएसपी को शिकायती पत्र दिया और स्थानीय पुलिस से भी शिकायत की। उसका कहना है कि तेजाबी हमले से ठीक एक दिन पहले बुधवार को लोहे की फूंकनी से उसकी पिटाई की गई। उसने जानकारी फोन पर समाजसेवी डा. समीना को दी। डा. समीना इंसाफ दिलाने के लिए शबनम की मदद कर रही हैं। समीना और रानी शबनम को गुरुवार को एसएसपी से मिलना था। डा. समीना ने बताया कि वह बस से बुलंदशहर आ रही थीं और रानी शबनम जौलीगढ़ से बुलंदशहर के लिए रवाना हुई थीं। सुबह रानी शबनम को ससुरालीजनों ने रोका था, लेकिन वह नहीं मानी। धमैड़ा अड्डा पहुंचने पर सुबह 11:30 बजे रानी शबनम ने उसके साथ फोन पर बात की। डिप्टीगंज चौकी के पास उस पर तेजाब फेंककर जलाया गया। काश, पुलिस पहले ही संज्ञान ले लेती।