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कलाम की दिल में गीता और कुरान की थी एक समान जगह

दीपक बंसल, गुलावठी : पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन देशवासियों के लिए आदर्श और प्रेर

By Edited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 10:20 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 10:20 PM (IST)

दीपक बंसल, गुलावठी : पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन देशवासियों के लिए आदर्श और प्रेरणास्त्रोत है। उनकी ¨जदगी के हर पहलू यादगार है। डा. कलाम को जितना लगाव कुरान के प्रति था, उतनी ही आस्था वेद, पुराण, आध्यात्म की पुस्तकों से थी। उन्होंने मेरठ यूनिर्विसटी के रिटायर्ड प्रोफेसर प्रो. महानंद शर्मा और उनकी पुत्रवधु गुलावठी एनपीजी कालेज की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा. ममता शर्मा सहित परिजनों को अपने आवास पर बुलाया था। आध्यात्म के विषय पर लंबी बातचीत की थी। अपन विचार साझा किया था।मेरठ निवासी डा.ममता शर्मा गुलावठी एनपीजी कालेज में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष है। उन्होंने दैनिक जागरण से डा. कलाम के साथ बिताए पल को याद करते हुए भावुक हो उठीं। डा. ममता शर्मा ने बताया कि कलाम के साथ बीते पल काफी महत्वपूर्ण व प्रेरणाप्रद रहे हैं। उनके ससुर डा. महानंद शर्मा मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर रह चुके हैं। उन्होंने आध्यात्म, प्रकृति सहित विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें लिखीं हैं। उनके ससुर ने अपनी लिखी हुई कुछ पुस्तकें पूर्व राष्ट्रपति कलाम को भेजी थीं। डा. कलाम इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने डा. महानंद शर्मा को पत्र लिखा। डा. कलाम आध्यात्म से संबंधित पुस्तकें, चाहे वे किसी भी धर्म का हो, कितनी पसंद थी इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डा. कलाम ने उन्हें पत्र लिखकर साथ लंच करने एवं चर्चा करने को निमंत्रण भेजा था। राष्ट्रपति का निमंत्रण मिलते ही परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सात जून 2004 को दोपहर डा. ममता शर्मा अपने पति, ससुर व बच्चों के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचीं, जहां राष्ट्रपति ने उनके ससुर डा. महानंद शर्मा को शाल ओढ़ाकर सम्मान किया था।

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डा. कलाम ने डा. महानंद शर्मा को लिखा पत्र इस बात का गवाह है वह किसी भी मजहब और धर्म से परे थे। उनके लिए कुरान के अलावा गीता भी पवित्र और अनुकरणीय ग्रंथ रहा। डा. कलाम आध्यात्म की पुस्तकें कितनी रुचि से पढ़ते हैं इसका पता उनके पत्र से प्राप्त होता है। डा. महानंद शर्मा को लिखे पत्र में डा. कलाम ने लिखा है,'आपकी पुस्तकें पढ़ीं। कल मैंने आपका डिवाइन ¨ग्लप्सेज पढ़ना शुरू किया। पेज 50 पर लिखी दो पंक्तियां मेरे दिल को छू गई। खासकर इटरनल लिगैसी चैप्टर पढ़ते समय काफी डूब गया था। मैने आपकी ए स्प्रीचुअल वारियर पढ़ी। इसका पेज 190 से 320 तक काफी अच्छा लगा। इसमें आपने युद्धिष्ठिर और कृष्ण की भीष्म से मुलाकात का प्रसंग का जैसे वर्णन किया है वह वाकई ज्ञानप्रद है।' डा. ममता बताती है कि डा. कलाम के साथ लंच और बातचीत के पवल उनके स्मृतियों में कैद है। उन्होंने आध्यात्म से जुड़े विषय पर लंबी बातचीत की।


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