जरूरतमंदों के तन ढक रही 'भलाई की दीवार'
जेएनएन बिजनौर। ठंड आते ही जरूरतमंदों को गर्म कपड़े कंबल लिहाफ देकर उनके साथ फोटो
जेएनएन, बिजनौर। ठंड आते ही जरूरतमंदों को गर्म कपड़े, कंबल, लिहाफ देकर उनके साथ फोटो खिचवाने का चलन काफी बढ़ गया है, लेकिन अब वक्त ने करवट बदली है। समाज में कोई ऐसा भी है, जो पर्दे के पीछे से सुखी-संपन्न लोगों से मांग रहा है और जरूरतमंदों को दे भी रहा है। इस अनजान शख्स ने वो काम किया है, जिसकी नजीबाबाद वासियों ने कल्पना भी नहीं की थी।
जगन्नाथ चौराहा और बाजार कल्लूगंज के बीच मैढ़ राजपूत धर्मशाला के सामने एक बंद मकान के बाहर रस्सी बांधकर उस पर कुछ कपड़े लटकाए गए हैं। एक बैनर पर लिख दिया गया है 'भलाई की दीवार'। साथ ही बैनर पर 'नर सेवा नारायण सेवा' का स्लोगन लिखते हुए संदेश दिया गया है कि 'जिसे जरूरत हो वह कपड़े ले जाए और जिसे जरूरत न हो, वह अपने घर से कपड़े लाकर जरूरतमंदों के लिए यहां छोड़ जाए'। एक लाख से अधिक आबादी के नगर नजीबाबाद में गिने-चुने लोग ही अभी इस भलाई की दीवार के बारे में जानते हैं। उन्होंने खुद यहां कपड़े छोड़कर इस परोपकारी मुहिम को आगे बढ़ाया है।
नवंबर में शुरू किया पुण्य कर्म
शीत का आगाज होते ही बंद मकान के आगे रस्सी बांधकर भलाई की दीवार नाम से जरूरतमंदों की मदद के लिए पहल की गई थी। आसपास के लोग बताते हैं कि अब तक यहां से 100 से ज्यादा कुर्ते-पायजामे, दर्जनभर कोट, करीब 20 जैकेट और कई जूते-चप्पल जरूरतमंद लोग ले जा चुके हैं। यह अच्छी बात है कि रस्सी पर लटके कपड़े कम नहीं हो रहे हैं। जितने जाते हैं, उतने ही और आ जाते हैं। नागरिक बोले
नि:स्वार्थ भाव से उठाया गया कदम कई जरूरतमंदों की मदद करते हुए आगे बढ़ रहा है। भलाई की दीवार से सटी अपनी दुकान पर बैठकर मैं ऐसा महसूस कर रहा हूं।
-अशोक शर्मा (कारोबारी) सामाजिक संगठनों द्वारा समय-समय पर किए जाने वाले सामाजिक कार्यो और जरूरतमंदों की मदद को इस प्रयास ने नया मोड़ दिया है। निश्चित ही सराहनीय कदम है।
-विवेक गुप्ता (समाजसेवी)