सैनिक की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
बिजनौर : रामपुर बकली निवासी सैनिक श्रवण कुमार की कश्मीर में ड्यूटी के दौरान हीट स्ट्रोक
बिजनौर : रामपुर बकली निवासी सैनिक श्रवण कुमार की कश्मीर में ड्यूटी के दौरान हीट स्ट्रोक से उपचार के दौरान दिल्ली के आर्मी अस्पताल में मौत हो गई थी। बुधवार शाम उनका शव गांव पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। गमगीन माहौल देखकर हर किसी की आंखें नम हो गई। सांसद समेत कई पार्टी के नेता सैनिक के घर पहुंचे और परिवार को ढांढस बंधाया।
शहर से सटे पंचायत रामपुर बकली के मोहल्ला नवाब का अहाता निवासी श्रवण कुमार (44) पुत्र सोमपाल ¨सह भारतीय सेना में 23 वीं राष्ट्रीय राइफल की इंजीनिय¨रग कोर में लांस नायक के पद पर तैनात थे। करीब दो साल पूर्व उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में हुई थी। इन दिनों वह कश्मीर के रामबन नतलाना गांव में तैनात थे। एक सप्ताह पूर्व ड्यूटी के दौरान श्रवण हीट स्ट्रोक के चपेट में आ गए। जम्मू के सैनिक अस्पताल में इलाज कराया गया। तबीयत में सुधार न होने पर शनिवार को उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया। मंगलवार को उनकी उपचार के दौरान मौत हो गई। बुधवार शाम सेना की गाड़ी से श्रवण कुमार के शव को उनके आवास पर पहुंचाया गया। सैनिक के अंतिम दर्शन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई श्रवण की घर के ओर दौड़ पड़ा। शव देखते ही पत्नी, मां-बाप व बहन का रो-रोकर बुरा हाल था। उनकी पत्नी कई बार बेहोश हुई। घर में करुण चीखपुकार सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। सैकड़ों की भीड़ जमा हो गई। सांसद भारतेंद्र ¨सह, भाजपा नेता राजेंद्र ¨सह, नीरज शर्मा समेत कई नेता अंतिम यात्रा में शामिल हुए। काफिले में अंतिम यात्रा बैराज घाट तक पहुंची। देर शाम गमगीन माहौल में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
साढ़े चार साल के हैं जुड़वा बच्चे
श्रवण कुमार का करीब दो साल बाद रिटायरमेंट होना था। श्रवण के साढ़े चार साल के जुड़वा बेटा-बेटी हैं। मासूम बच्चों को अभी यह भी नहीं पता कि उनके पिता इस दुनिया में नहीं रहे हैं। पत्नी उर्मिला का रो-रोकर बुरा हाल है। दोनों भाई-बहन मायूसी के साथ देख रहे थे। हालांकि कई बार मां व अन्य परिजनों को रोता देखकर दोनों बच्चों के आंखों से आंसू झलक आए। करीबियों ने उन्हें संभाला।
13 साल पहले श्रवण का एक भाई हो गया था लापता
श्रवण का शव पहुंचते ही पिता सोमपाल कई बार बेहोश होकर गिर गए। उन्हें बमुश्किल संभाला गया। सोमपाल के तीन पुत्र श्रवण, पवन व संदीप थे। जिस वक्त श्रवण सेना में भर्ती होने के बाद ट्रे¨नग पर गए थे। उस वक्त ही पवन बिजनौर से लापता हो गया था। आज तक उसका पता नहीं चल सका। काफी तलाश के बाद भी पवन का सुराग नहीं लग सका। 13 साल बाद फिर से सोमपाल को एक और आघात लगा, जब श्रवण का शव पहुंचा। एक बेटे के लापता व दूसरे की मौत पर गम का पहाड़ सोमपाल पर टूटा। दो बेटों के जाने के बाद सोमपाल का सहारा सबसे छोटा बेटा संदीप है। वह रेलवे में कार्यरत है।
पत्नी को सुनाई थी गोलियों की आवाज
परिवार के करीबियों ने बताया कि बीमार होने से एक दिन पूर्व श्रवण ने अपनी पत्नी से बात की थी। उस वक्त पत्नी को फोन पर फाय¨रग की आवाज सुनाई थी। बताया जा रहा है कि गोलाबारी के चलते हवा भी जहरीली भी हो गई थी। श्रवण के उपचार के दौरान तीन दिन तक परिजनों को सूचना नहीं मिली। दिल्ली के लिए रेफर करने पर परिजनों को सूचना दी गई। आशंका है कि जहरीला धुआं सांस के साथ शरीर के अंदर जाने से श्रवण की तबीयत बिगड़ी थी।
अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचे अफसर
श्रवण कुमार के अंतिम संस्कार में पुलिस-प्रशासन का कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा। इस बात को लेकर लोगों में चर्चा रही। बताया जा रहा है कि प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा के आगमन के चलते पूरा अमला आवभगत में जुटा रहा। उन्होंने सैनिक के परिवार के बारे में सुध लेने की जहमत नहीं उठाई। एक भी अधिकारी सैनिक के घर नहीं पहुंचा।