आत्मसंयम ही सभी शक्तियों का स्त्रोत है
बिजनौर जेएनएन। कुछ दिन पहले मेट्रो में कॉलेज के एक ऐसे मित्र से लंबे अरसे बाद सामना हो गय
बिजनौर, जेएनएन। कुछ दिन पहले मेट्रो में कॉलेज के एक ऐसे मित्र से लंबे अरसे बाद सामना हो गया जो कॉलेज में बिना किसी वजह से दूसरों पर अपना रोब झाड़ता था व बिना किसी वजह के लोगों से झगड़ा कर लेता था कॉलेज के दिनों में उसे सामने से आता देख दूसरे साथी अपना रास्ता बदल लेते थे मेट्रो में जब उस से सामना हुआ तो एक बार तो मैंने भी बचने की कोशिश की कितु उसने बड़ी विनम्रता से मुझसे हाथ मिलाया और परिवार के सदस्यों की कुशलता पूछने लगा बातों बातों में मुझे एहसास हो गया कि उसकी पुरानी आदतों में बदलाव आ चुका है उसकी भाव से भरी हुई बातों मैं धैर्य संतोष और आत्म संयम झलक रहा था दरअसल आत्म अनुशासन व ²ढ़ संकल्प के बल पर अनुशासन से अपनी बुरी आदतों से पीछा छुड़ाया जा सकता है कोई भी व्यक्ति जब बुरी आदतों से निजात पाकर निरंतर रचनात्मक कार्यों में लगा रहता है तो उसकी रचनात्मक प्रतिभा का विकास होता रहता है वह दिखाई देता है रचनात्मक से सृजनात्मकता में आत्म सुधार का एक अनुभवी कारण है रचनात्मकता जन्मजात प्रतिभा कम है लगातार किए गए अभ्यास की प्रक्रिया ज्यादा आत्म अनुशासन और परमेश्वर में आस्था के सहारे कोई भी व्यक्ति अपनी बुरी आदतों से छुटकारा पा सकता है उसका व्यक्तित्व सुकून से लबरेज हो जाता है अगर हम अध्यात्मिकता को आत्मसात करते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ते हैं तो हमारे व्यक्तित्व में विकास संभव हो जाता है एक मशहूर मनोविशेषज्ञ ने कहा है कि मनुष्य की आत्मा अनंत शक्तियों का स्त्रोत है इन शक्तियों को जागृत करने के लिए जरूरी है विनम्रता पूर्वक आत्म संयम की राह पर चलना और उन्होंने यह भी कहा है कि आत्म सुधार के मूल विज्ञान पर अपनी राय व्यक्त करते हुए आत्म अनुशासन किसी सुधारात्मक लक्ष्य को हासिल करने और बुरी आदतों व अप्रिय छवि को नियंत्रित करने में थर्मोस्टेट की भांति कार्य करती है आत्म संयम ठीक उसी तरह बुरी आदतों से छुटकारा दिलाने में सक्षम है जिस प्रकार थर्मोस्टेट घर के तापमान को नियंत्रित करने में खुद में बदलाव लाने के लिए हमें सोचे समझे ढंग से कोशिश करनी होगी और पूरे संकल्प के साथ अच्छे विचारों को अपनी जिदगी का हिस्सा बनाना होगा जब हम अच्छे आचरण को अपनाने का अभ्यास रोज करते हैं और खुद में बदलाव लाने के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं तो हमारी आत्मशक्ति हर और अपना विस्तार करती है हमारी सभी सुप्त शक्तियां चैतन्य हो जाती हैं इस अवस्था में हमारी संकल्प शक्ति जागती है जो हमारे समग्र परिवर्तन का एहसास है यह बदलाव हमारे अंदर उत्साह ऊर्जा उमंग और स्फूर्ति भर देता है इस स्थिति में मनुष्य का दिमाग सीमाओं को पार कर जाता है इस आमूलचूल परिवर्तन की प्रक्रिया आत्म संयम द्वारा ही संभव है
-इंद्रपाल सिंह, प्रधानाचार्य, केएस चिल्ड्रेंस अकेडमी।