अभिभावकों को शोषण से मुक्ति मिलने की उम्मीद जगी
नजीबाबाद(बिजनौर): निजी स्कूल में अभिभावकों के आर्थिक-मानसिक शोषण के मामलों पर जल्द विराम लगने की उम्मीद जगी है। एसडीएम ने स्कूल प्रबंधकों और अभिभावकों की संयुक्त बैठक लेकर नो प्रोफिट, नो लॉस.. की सोच को प्राथमिकता देते हुए अभिभावकों के साथ बेहतर तालमेल बनाने की स्कूल प्रबंधकों को सलाह दी।
नजीबाबाद(बिजनौर): निजी स्कूल में अभिभावकों के आर्थिक-मानसिक शोषण के मामलों पर जल्द विराम लगने की उम्मीद जगी है। एसडीएम ने स्कूल प्रबंधकों और अभिभावकों की संयुक्त बैठक लेकर नो प्रोफिट, नो लॉस.. की सोच को प्राथमिकता देते हुए अभिभावकों के साथ बेहतर तालमेल बनाने की स्कूल प्रबंधकों को सलाह दी।
ब्लॉक संसाधन केंद्र पर शुक्रवार को मी¨टग में बोलते हुए एसडीएम डा.पंकज वर्मा ने कहा कि शिक्षा पर हर किसी का अधिकार है। इसमें अमीर-गरीब, ऊंच-नीच का कोई स्थान नहीं है। अभिभावक संघ के अध्यक्ष पंकज विश्नोई एडवोकेट ने अंग्रेजी माध्यम निजी स्कूलों में प्रतिवर्ष नए कोर्स, एडमिशन फीस की आड़ में अभिभावकों का आर्थिक-मानसिक शोषण किए जाने की बात कही। इस संबंध में एसडीएम ने शासनादेश का संज्ञान लेते हुए कहा कि किसी भी संस्था में एडमिशन फीस मानक के अनुसार एडमिशन की शुरुआत में एक ही बार ली जा सकती है। उन्होंने सीबीएसई, आईसीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी पुस्तकों के संबंध में जानकारी की।
मी¨टग में शामिल निजी स्कूल प्रबंधकों विनय कौशिक, सुनील चंदोला, विनोद मित्तल ने बताया कि कक्षा नौ से 12 तक एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाई जा रही हैं, जबकि नर्सरी से कक्षा नौ तक विभिन्न प्रकाशन की किताबें ली जा रही हैं। एसडीएम ने शासनादेशों के अनुपालन के संबंध में आकस्मिक जांच कर पुष्टि करने की बात कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि उल्लंघन पाए जाने पर संबंधित संस्था की मान्यता निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम ने राइट टु एजुकेशन के हवाले से विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधियों से प्रतिवर्ष स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के एडमिशन की स्थिति के संबंध में भी जानकारी की।