Move to Jagran APP

आधुनिकता की दौड़ में कम नहीं हुई दीए की रोशनी

जलीलपुर (बिजनौर): हस्तकला आधारित उद्योग का अस्तित्व मशीनों ने लगभग मिटा दिया है, लेकिन कुतुब

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 10:33 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 10:33 PM (IST)
आधुनिकता की दौड़ में कम नहीं हुई दीए की रोशनी

जलीलपुर (बिजनौर): हस्तकला आधारित उद्योग का अस्तित्व मशीनों ने लगभग मिटा दिया है, लेकिन कुतुबपुरगाबड़ी के कुम्हार नरेश अपनी कला का लोहा मनवाते हुए आदर्श बन गए हैं। उन्होंने मशीनों को ही परंपरागत हस्त उद्योगों में प्राण फूंकने का माध्यम बना दिया है। मोटर का उपयोग कर वह अपने काम को पहले से दस गुना बढ़ा कर अपने पुश्तैनी धंधे को प्राण वायु दे रहे हैं।

loksabha election banner

दीपों के पर्व में दीवाली पर दीपों का सर्वाधिक महत्व होता है। दीपावली आते ही कुम्हार परिवार के लोग इस काम में लग जाते हैं लेकिन मशीनी युग में कुम्हारों का धंधा चौपट होता जा रहा है। कुतुबपुरगाबड़ी निवासी नरेश कुम्हार ने धंधे को जीवित रखने के लिए मशीनों को ही हथियार बना लिया है। उसने हाथ वाले चाक में बिजली की मोटर फिट कर दीए व बर्तन बनाना शुरू कर दिया है। नरेश का कहना है कि महंगाई के चलते हाथ के चाक से बर्तन बनाने में कोई औसत नहीं आता है। पिता स्वर्गीय पतराम के जमाने में वे बर्तन बनाने से कतराते थे। इस धंधे में जुड़ने के बजाय उन्होंने चांदपुर शुगर मिल में नौकरी कर ली थी। नौकरी चले जाने के बाद पुन: अपने धंधे में लौट गये। चीनी बनाने वाले मोटर से प्रेरण लेकर मोटर से चाक चला कर बर्तन बनाने शुरू कर दिए। नरेश बताते हैं कि हाथ से पहले वह एक घंटे में सौ कुल्हड़ बनाते थे, लेकिन मोटर लगाने के बाद वह एक घंटे मे तीन सौ कुल्हड़ बना लेते हैं। कुम्हारों के घटते करोबार को उन्होंने अपने इलेक्ट्रोनिक चाक से दस गुना बढ़ा दिया है। नरेश का कहना कि आधुनिक युग में भी अभी दिए की रोशनी कम नहीं हुई है। इसी लिए कुम्हार परिवार दीपावली आने पर दीए बनाने में जुट जाते हैं। कारोबार से पांच बच्चों को शिक्षित किया

नरेश आधुनिकता की दौड़ में किसी से कम नहीं है। वह मोटर से बर्तन बनाते समय टीवी व मोबाइल के माध्यम से फीचर फिल्म व गीतों का भरपूर लुफ्त उठाते हैं। उनका कहना है कि टीवी देखने से उनका समय कटता रहता है। मोटर से बर्तन बनाकर वह अच्छे पैसे कमा रहे और इसी कारोबार से उन्होंने पांच बच्चों को पढ़ा लिखा कर शादी कर उन्हें पैरों पर खड़ा किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.