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गंगा यात्रा में सियासी लहरें, एजेंडे को धार देने में जुटी पार्टी Meerut News

सीएम योगी आदित्यनाथ ने गंगा यात्रा के जरिए भले ही नदी सफाई का संदेश दिया है किन्तु इसके पीछे सियासी लहरें भी उठने लगी हैं।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 02:06 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 02:06 PM (IST)
गंगा यात्रा में सियासी लहरें, एजेंडे को धार देने में जुटी पार्टी Meerut News
गंगा यात्रा में सियासी लहरें, एजेंडे को धार देने में जुटी पार्टी Meerut News

बिजनौर, जेएनएन। सीएम योगी आदित्यनाथ ने गंगा यात्र के जरिए भले ही नदी सफाई का संदेश दिया है, किन्तु इसके पीछे सियासी लहरें भी उठने लगी हैं। गंगा यात्र के बहाने योगी ने साफ कर दिया कि भाजपा हार्डकोर सियासत की ध्वजा उठाकर चलेगी। पार्टी ने पिछले साल प्रयागराज में कुंभ तो इस साल गंगा यात्र का राजनीतिक कलश छलका दिया है। इस यात्र के जरिये पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों की भी पटकथा लिखने में जुट गई है। वेस्ट यूपी की नब्ज को समझकर ही बिजनौर की गंगा यात्र में सीएम योगी खुद आये, जबकि बलिया में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल गईं। नागरिकता संशोधन कानून पर कोई टिप्पणी न करने के भी बड़े मायने हैं। पार्टी ने इसे सिर्फ जागरूकता और धर्मयात्र बनाकर पेश किया है।

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गंगा यात्र के जरिये पार्टी ने पूरे प्रदेश में राजनीतिक बिसात बिछा दी है। बलिया और बिजनौर से यात्र कानपुर में मिलेगी, जहां बड़ा सियासी मंच बनेगा। वेस्ट यूपी की राजनीति में धर्म और धारा का खास महत्व रहा है। भाजपा के रणनीतिकारों के अनुसार योगी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि गंगा जब तक साफ होगी, तब तक भाजपा के लिए एक उर्वर सियासी मैदान भी बना देगी। जहां ये यात्र मुरादाबाद, सहारनपुर और मेरठ मंडलों को छूते हुए निकलेगी, वहीं इसका संदेश कांवड़ यात्र की तरह दूर तक जाएगा। हर-हर गंगे और जय श्रीराम के नारों से साफ है कि पार्टी अपने एजेंडे को धार देने में जुटी है। सीएम योगी ने प्रयाग कुंभ और कांवड़ में श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की चर्चा करते हुए आगे बढ़ाने की बात कहकर साफ किया कि हर तीर निशाने पर लगा है। उधर, बिजनौर और रामराज में योगी ने सधी रणनीति के तहत नागरिकता संशोधन कानून पर कोई टिप्पणी नहीं की। साफ है कि भाजपा इसे धर्मयात्र की तरह पेश करना चाह रही है, जिसमें आस्था के साथ गांवों में उद्यमशीलता का भी एजेंडा साधा गया है।

वेस्ट फिर सियासी लैब

वेस्ट यूपी में बसपा और सपा की राजीनीतिक जमीन मजबूत थी। किंतु 2013 मुजफ्फरनगर दंगों के बाद ध्रुवीकरण की राजनीति में भाजपा अपना एजेंडा साधने में सफल हो गई। बदलती राजीनीतिक हवा का असर रहा कि वेस्ट यूपी में 2014 लोकसभा, 2017 विधानसभा व 2019 लोकसभा चुनावों में भगवा फहराया। पार्टी इस पकड़ को खोना नहीं चाहेगी, इसीलिये योगी ने जहां चीनी मिलों की क्षमता विस्तार और गन्ना बकाया भुगतान से किसानों को साधने का प्रयास किया, वहीं गंगा गांवों में फलों की खेती करने पर अनुदान देने की बात कहकर भी लुभाया। माना जा रहा है कि पार्टी आने वाले दिनों में गंगा गांवों में जागरूकता के बहाने राजनीतिक ताकत भी बढ़ाएगी।


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