मौलिक अधिकारों को जाने बिना जीवन अधूरा
नजीबाबाद में एंटीकरप्शन ब्यूरो एंड वेलफेयर फाउंडेशन के स्वयंसेवकों ने क्षेत्र के गांवों में भ्रमण कर ग्रामीणों को उनके मौलिक अधिकारों की जानकारी दी।
बिजनौर, जेएनएन। नजीबाबाद में एंटीकरप्शन ब्यूरो एंड वेलफेयर फाउंडेशन के स्वयंसेवकों ने क्षेत्र के गांवों में भ्रमण कर ग्रामीणों को उनके मौलिक अधिकारों की जानकारी दी। ग्रामीणों को बताया कि रोटी-कपड़ा और मकान के अलावा भी और भी बहुत सारे मौलिक अधिकार संविधान ने आम नागरिक को दिए हैं। जिनके बारे में जानकारी होना और उनके हनन पर आवाज उठाना संवैधानिक अधिकार है।
संस्था के चेयरमैन विकास आर्य के निर्देशन में स्वयंसेवकों ने नजीबाबाद क्षेत्र के गांव हुसैनपुर, मोचीपुरा, किथौड़ा, रंघड़पुरा, भनेड़ा आदि गांवों का दौरा किया। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद उसकी आर्थिक और सामाजिक परिषद की पहली बैठक में मानव अधिकार आयोग की स्थापना की गई। स्वयंसेवक अरुण व सत्यम ने बताया कि संविधान हर एक नागरिक को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से कुछ बुनियादी स्वतंत्रता देता है। मौलिक अधिकारों की छह व्यापक श्रेणियां हैं। फाउंडेशन की पदाधिकारी रंजना सैनी व निपेंद्र राजपूत ने बताया कि संविधान में समानता का अधिकार लोकतांत्रिक देश में एक ठोस कदम है। भारतीय नागरिकों को इन मौलिक अधिकारों के माध्यम से आश्वासन दिया जा रहा है कि वह जब तक भारतीय लोकतंत्र में रहेंगे तब तक वे अपने जीवन को संविधान के अनुरूप पूरी आजादी और सद्भाव में जी सकते हैं। स्वयंसेवकों ने ग्रामीणों से अपने मौलिक अधिकारों के प्रति सजग रहने व संविधान को पढ़ने का आह्वान किया। जागरुकता अभियान में डा. एम कासिम, अंकित त्यागी, सुरभि सिंह, दानिश, महफूज, अमन, मुकुल, निशि, पूर्णिमा, सैफ आदि शामिल रहे।