किसान पराली न जलाएं, खेत में खाद बनाएं: संयुक्त सचिव
भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्वनी कुमार ने कहा कि किसान पराली न जलाएं।
बिजनौर जेएनएन। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्वनी कुमार ने कहा कि किसान पराली न जलाएं। पराली जलाने के घातक दुष्प्रभाव का जिक्र करते हुए सीएचसी (कस्टम हायरिग सेंटर) के बारे में जानकारी दी। खेती की आधुनिक मशीनें और तकनीक अपनाने पर जोर दिया।
शुक्रवार दोपहर गोयल कृषि फार्म पर आयोजित किसान गोष्ठी और जगरूकता कार्यक्रम में कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्वनी कुमार ने सरकार से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने किसानों को पराली जलाने के नुकसान बताए और न जलाने की अपील की। कहा कि पराली को जलाने के बजाए खेत में मिलाने पर 1500 रुपये की खाद की बचत होती है और भूमि उपजाऊ होती है। उन्होंने सीएचसी (कस्टम हायरिग सेंटर) के बारे कहा कि वर्तमान में खेती के लिए उन्नत व आधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं, जिससे किसान अपनी पैदावार कई गुना बढ़ा सकते हैं। लेकिन ये उपकरण महंगे हैं, जिससे लघु व सीमांत किसान ये उपकरण खरीद नहीं पाते हैं। सरकार ने विभिन्न स्थानों पर सीएचसी खोले हैं। जहां से किसान ये उपकरण किराए पर लेकर खेती कर सकते हैं। इन उपकरणों को खरीदने के लिए 35 फीसद सब्सिडी भी देती है। गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद सीएचसी एप को डाउनलोड करने की प्रक्रिया भी बताई। इस दौरान योगेश गोयल, अनुपम गोयल तथा स्थानीय कृषि अधिकारियों ने संयुक्त सचिव का स्वागत किया गया। गोष्ठी में संयुक्त कृषि निदेशक मुरादाबाद रामसघन सिंह, ब्लाक टेक्नोलॉजी अधिकारी सुबोध राजपूत, एडीओ कृषि भोपाल सिंह, देशबंधु आदि मौजूद रहे।
वहीं, कोटद्वार रोड सुरेश ग्रांड पैलेस में आयोजित फसल अवशेष प्रबंधन एवं रबी गोष्ठी में संयुक्त सचिव कृषि अश्वनी कुमार ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि किसान वर्ग वैज्ञानिक ²ष्टिकोण से सोचना-समझना शुरू करें। केमिकल का प्रयोग बंद कर खेतीबाड़ी की प्राचीन पद्धति को अपनाते हुए उसमें खेती की आधुनिक तकनीक को जगह दें। गोबर की खाद का प्रयोग, खेत की मिट्टी की जांच कराकर ही पोषक तत्वों की मात्रा इस्तेमाल, बूंद-बूंद सिचाई पद्धति को स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि घरों से निकलने वाले कूड़े को किसान पर्यावरण के लिए खतरा न बनने दें, बल्कि जैविक कचरे को अलग कर उसका खाद के रूप में इस्तेमाल करें। किसानों को पराली नहीं जलाने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि पराली की खाद बनाकर उसका सदुपयोग किया जा सकता है।
डीएम रमाकांत पांडेय ने सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए फसल अवशेष को नहीं जलाने, आय दोगुना करने के लिए कृषि लागत को कम करने के प्रति सचेत रहने की सलाह दी। एसडीएम संगीता, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों डा.केके सिंह, डा.नरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे। संचालन उप परियोजना निदेशक आत्मा योगेंद्रपाल सिंह ने किया। किसान हरप्रीत सिंह संधू, सुरजीत सिंह, परवान सिंह समेत कई किसान एवं एडीओ कृषि श्याम सिंह समेत कृषि विभाग के कई कर्मचारी उपस्थित रहे।