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सिद्धपीठ मोटा महादेव मंदिर में जलाभिषेक का विशेष महात्म्य

नजीबाबाद (बिजनौर): देहरादून-नैनीताल हाइवे-74 पर स्थित प्राचीन स्वयंभू सिद्धपीठ श्री मोटा महादेव मंि

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Feb 2018 10:13 PM (IST)Updated: Tue, 13 Feb 2018 10:13 PM (IST)
सिद्धपीठ मोटा महादेव मंदिर में जलाभिषेक का विशेष महात्म्य
सिद्धपीठ मोटा महादेव मंदिर में जलाभिषेक का विशेष महात्म्य

नजीबाबाद (बिजनौर): देहरादून-नैनीताल हाइवे-74 पर स्थित प्राचीन स्वयंभू सिद्धपीठ श्री मोटा महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार मौर्यकाल में साहनपुर रियासत के तत्कालीन राजाओं ने कराया था। स्वयंभू सिद्धपीठ श्री मोटामहादेव मंदिर के बारे में साहनपुर और उसके आसपास के बुजुर्ग बताते है कि सदियों पहले यह शिव¨लग धरती से प्रकट हुआ था। बाद में साहनपुर रियासत के राजा चरत ¨सह ने मंदिर को विस्तृत रुप देने का कार्य किया था। इस मंदिर परिसर में भैरव बाबा का मंदिर भी है। मंदिर प्रबंध कमेटी एवं प्रशासनिक अफसरों की देखरेख में महाशिवरात्रि पर हरिद्वार से जल लेकर आने वाले मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, रुद्रपुर, काशीपुर, गढ़मुक्तेश्वर एवं बुलंदशहर के लाखों शिवभक्त यहां प्रथम बार इस मंदिर पर भगवान शिव का जलाभिषेक चढ़ाने के बाद ही अपने गंतव्य की रवाना होते है। महाशिवरात्रि पर दूर-दराज से आने वाले हजारों श्रद्धालु भोले नाथ का जलाभिषेक करते हैं।

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-भीड़ नियंत्रित करने को होती है बेरिके¨टग

-स्वयंभू सिद्धपीठ श्री मोटामहादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरीके¨टग कराए जाने के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में पुलिस एवं पीएसी के जवान तैनात है। मंदिर के मुख्य पुजारी शशिनाथ बताते है कि महाशिवरात्रि पर यहां पूजा-अर्चना के बाद ही शिवभक्त की यात्रा सफल होती है। यहां भगवान आशुतोष की कृपा से हर भक्त की मुराद भी पूरी होती है।


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