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अनफिट वाहन से नौनिहाल को कराया जा रहा सफर

अनफिट वाहन से नौनिहाल को कराया जा रहा सफर

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 11:27 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 11:27 PM (IST)
अनफिट वाहन से नौनिहाल को कराया जा रहा सफर

अनफिट वाहन से नौनिहाल को कराया जा रहा सफर

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बिजनौर, जागरण टीम। जनपद में अनफिट वाहनों में घर से स्कूल तक के सफर में नौनिहालों को खतरा है। इसके अलावा बच्चों को ई-रिक्शा और टेंपो से भी स्कूल का सफर तय कर रहे हैं। विभाग की ओर से मानक के अनुरूप नहीं चलने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई का दावा किया जा रहा है, लेकिन फिर नियम को ताक में रखकर स्कूली वाहन दौड़ रहे हैं। जनपद में करीब 579 स्कूली वाहन हैं। पुरानी स्कूली बसों की फिटनेस की जांच दो साल में होती है, जबकि नए वाहनों की अवधि तीन साल है। फिर भी अधूरे मानक से दौड़ रहे स्कूली वाहन नौनिहालों की जान को खतरा बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र के छोटे स्कूलों में ट्रांसपोर्ट के लिए खटारा मिनी बसें लगी हैं। अधिकांश वाहनों में प्राथमिक उपचार की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। किसी पर अप्रशिक्षित चालक है। कुछ स्कूलों में ई-रिक्शा और टेंपो का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकांश बसों और ई-रिक्शा में संख्या से अधिक बच्चों को भरा जाता है। अभिभावकों का कहना है कि विकल्प नहीं होने पर कभी-कभी उन्हें ई-रिक्शा का इस्तेमाल करना पड़ता है। परिवहन विभाग ने एक माह कसा शिकंजा पिछले दिनों फिटनेस नहीं कराने पर करीब 50 से अधिक स्कूली वाहनों को नोटिस जारी किया था। फिटनेस नहीं कराने पर 25 स्कूली वाहनों का परमिट तीन माह के लिए निलंबित कर दिया गया है। स्कूली वाहनों के हादसों से सबब लेते हुए एक माह से जिले में परिवहन विभाग की ओर से स्कूली बसों के खिलाफ जबरदस्त अभियान चलाया जा रहा है। करीब 30 से अधिक बसें सीज की जा चुकी हैं। इससे अधिक संख्या में चालान किया जा सका है। परिवहन अधिकारियों ने स्कूलों में पहुंचकर बसों की जांच की। क्या हैं स्कूली वाहनों के मानक: -इमरजेंसी गेट और जमीन की दूरी न्यूनतम होनी चाहिए। -सीट के पीछे हुक और सिर के नीचे गद्दी होनी चाहिए। -बसों और वैन में ओवरलोड बच्चे न हों। -रंग पीला हो, नीली पट्टी और नाम स्पष्ट हो। -गाड़ी में गैस किट का इस्तेमाल न हो। -बच्चों को खटारा वाहन से स्कूल न भेजें। ----------- एआरटीओ के सख्त निर्देश: -नशे के आदी चालक से वैन न चलवाएं। -चालक यातायात के नियम जानता हो। -गैस चलित वाहन से बच्चे स्कूल न जाएं। ---------- यह हैं बसों और वैन के हालत -बच्चों को बैठाने के लिए स्टूल रखे गए हैं। -कई वाहनों पर न पीला रंग और न ही नीली पट्टी। -बसों में पायदान व जमीन की दूरी ठीक नहीं। -बच्चों को भरने के बाद इमरजेंसी गेट रहता है जाम। -बच्चों को बोनट पर बैठाया जाता हैं। ------------ स्कूली बसों की जांच के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान मानक पूरा नहीं होने पर कई स्कूली वाहनों के चालान किए गए हैं। 25 का परमिट भी निलंबित कर दिया गया है। मानक पर खरा नहीं उतरने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई होगी। अधिक बच्चों को बैठाने वालों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। - शिवशंकर, एआरटीओ प्रशासन, बिजनौर


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