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सो रहा सिस्टम, घायल हो रहे लोग

उत्तर प्रदेश सरकार की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की पोल नजीबाबाद में खुल रही है। यहां शहर के बीच ही नहीं शहर के बाहर भी प्रमुख मार्ग गड्ढों में तब्दील हो चुके हैं। इन मार्गों पर समय समय पर होने वाली दुर्घटनाओं से भी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने सबक नहीं लिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 09:30 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 09:30 PM (IST)
सो रहा सिस्टम, घायल हो रहे लोग
सो रहा सिस्टम, घायल हो रहे लोग

नजीबाबाद: शहर में एक-दो नहीं, बल्कि कई जगहों पर प्रमुख सड़कें बदहाल हैं। बिजनौर मार्ग पर स्कूल और अस्पताल के सामने ही सड़क गड्ढों में बदल चुकी है। कई हादसे हो जाने के बावजूद प्रशासन और जनप्रतिनिधि नहीं चेते हैं।

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उत्तर प्रदेश सरकार की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की पोल नजीबाबाद में खुल रही है। यहां शहर के बीच ही नहीं शहर के बाहर भी प्रमुख मार्ग गड्ढों में तब्दील हो चुके हैं। इन मार्गों पर समय समय पर होने वाली दुर्घटनाओं से भी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने सबक नहीं लिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड एवं लोक निर्माण विभाग के अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं। प्रदेश सरकार ने जून 2017 में प्रदेश की सड़कों को गड्ढामुक्त करने की घोषणा की थी, लेकिन जून 2018 बीत जाने के बावजूद नजीबाबाद एवं आसपास के क्षेत्रों में मार्गों के हालात बदतर हैं।

मेरठ-पौड़ी एवं हरिद्वार-मुरादाबाद राष्ट्रीय राजमार्गों को जोड़ने वाले बाईपास मार्ग एवं मुख्य मार्ग को जोड़ने वाले आजाद चौक क्षेत्र के हालात काफी खराब हैं। यहां स्टेशन रोड मोड़ पर लाला मग्घूशरण सरस्वती शिशु मंदिर, प्रसाद हॉस्पिटल एवं पेट्रोल पंप सहित कई व्यापारिक प्रतिष्ठान स्थित हैं। मार्ग से रोजाना सैकड़ों स्कूली बच्चे और अस्पताल आने वाले मरीज गुजरते हैं। जिन्हें बदहाल मार्ग से आवागमन में जूझना पड़ता है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एस. प्रसाद का कहना है कि सब कुछ सबकी आंखों के सामने है, लेकिन व्यवस्थाएं इतनी ढुलमुल हैं कि मार्गों की बदहाली दूर करने में शासन-प्रशासन विफल रहा है।

कारोबारी उमेश प्रजापति कहते हैं कि गड्ढेनुमा सड़क से उन समेत न जाने कितने अभिभावकों के नौनिहाल जान हथेली पर रखकर गुजरते हैं, लेकिन कोई देखने-सुनने वाला नहीं है।

नौकरीपेशा नितिन वैद्य का कहना है कि कई हादसे उसकी आंखों के सामने हुए हैं। वह और उसके साथी घायलों को उठाकर अस्पताल पहुंचाते हैं, मगर प्रशासन व जनप्रतिनिधि सोए हुए हैं।


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