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दिनोंदिन बढ़ता जा रहा कटान, ग्रामीण सहमे

बिजनौर जेएनएन। हिमालय की गोद से निकली गंगा का खौफ कई गांवों के ग्रामीणों के जहन में समा चुका है। पिछले कई दिन से लगातार कटान कर रही गंगा से सौफतपुर-गौसपुर के ग्रामीण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। खादर के किसान बर्बाद हो गए हैं। गौसपुर की कृषि भूमि लगातार नष्ट होने के साथ साथ गांव के लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 09:29 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 06:10 AM (IST)
दिनोंदिन बढ़ता जा रहा कटान, ग्रामीण सहमे
दिनोंदिन बढ़ता जा रहा कटान, ग्रामीण सहमे

दिनोंदिन बढ़ता जा रहा कटान, ग्रामीण सहमे

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बिजनौर, जेएनएन। हिमालय की गोद से निकली गंगा का खौफ कई गांवों के ग्रामीणों के जहन में समा चुका है। पिछले कई दिन से लगातार कटान कर रही गंगा से सौफतपुर-गौसपुर के ग्रामीण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। खादर के किसान बर्बाद हो गए हैं। गौसपुर की कृषि भूमि लगातार नष्ट होने के साथ साथ गांव के लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है।

पहाड़ी क्षेत्र में हुई मूसलाधार बारिश से गंगा का कई दिन से जलस्तर घटा नहीं है। नांगलसोती गंगा खादर क्षेत्र में गंगा का प्रकोप जारी है। गंगा लगातार सौफतपुर व गौसपुर में कटान कर रही है। इतना ही नहीं गंगा की तेज धार गंगा के दोनों ओर कटान करते हुए गन्ना, चारा, धान की फसलों को तबाह कर रही है। किसान खेतों की रखवाली के लिए खादर में जा रहे हैं, लेकिन मजबूर होकर फसलों के बचाव में कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। खादर की हरियाली को ग्रहण लग रहा है। यही हालत रही तो वह दिन दूर नहीं जब खादर हरियाली व पेड़ विहीन हो जाएगा। ग्रामीणों उमर, नाजिम, नूरहसन, उस्मान आदि ने बताया कि कई वर्षों से उनके खेतों में खड़े पेड़ भी गंगा में बह गए हैं। किसानों का कहना है कि जब तक खादर क्षेत्र में स्थाई तटबंध नही बनाए जाएंगे, तब तक इसी तरह वे बर्बाद होते रहेंगे। खादर में किसानों ने तटबंध बनाए जाने की मांग की है। वहीं, किसानों ने जिला प्रशासन पर अनदेखी का आरोप भी लगाया है।

नांगलसोती क्षेत्र में गंगा के साथ साथ मालन नदी भी कहर बरपा रही है। क्षेत्र के गांव बाखरपुर, पूंडरीकलां, सबलपुर बीतरा सहित रामनगर बुडगरा, मुअज्जमपुर आदि के किसानों के खेत मालन नदी की धार के दोनों ओर आ रहे हैं। कई दिन से मालन नदी उफान पर है। खेतों में मालन नदी का पानी बह रहा है। किसानों ने बताया कि अभी मालन का पानी तेज नहीं है। जिससे खेतों में कटान नहीं हो रहा है। अगर जलस्तर और अधिक बढ़ा, तो कटान भी होगा।


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