नंगली जाजू के तालाब को है संजीवनी की जरूरत
जल प्रदूषण और तालाबों के खत्म होते अस्तित्व का जन मानस के साथ ही बेजुबानों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है। जमीन की नमी और भूजल का स्तर बरकरार रखना हो या फिर धरती के बढ़ते तापमान पर नियंत्रण। के लिए तालाबों और झीलों को संजीवनी की आवश्यकता है। गांव नंगली जाजू स्थित तालाब की सूरत बदसूरत हो चुकी है।
जेएनएन, बिजनौर। जल प्रदूषण और तालाबों के खत्म होते अस्तित्व का जन मानस के साथ ही बेजुबानों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है। जमीन की नमी और भूजल का स्तर बरकरार रखना हो या फिर धरती के बढ़ते तापमान पर नियंत्रण। के लिए तालाबों और झीलों को संजीवनी की आवश्यकता है। गांव नंगली जाजू स्थित तालाब की सूरत बदसूरत हो चुकी है। ऐसे में उसका सुंदरीकरण किया जाए तो उसका स्वरूप बदल जाएगा और उसका ग्रामीणों को लाभ मिलेगा।
ब्लाक के गांव नंगली जाजू में वाल्मीकि बस्ती में करीब सौ साल पुराना पारंपरिक तालाब है। जिसे जोहड़ी तालाब के नाम से जाना जाता है। फिलहाल तालाब पानी से तो लबालब है, लेकिन चहुंओर गंदगी के कारण ग्रामीणों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है। इस तालाब के अधिकांश हिस्से पर अवैध कब्जा हो चुका है। पंचायत राज कायम होने से तालाब के सुंदरीकरण की सुध नहीं ली गई। सरकार द्वारा तालाबों के सुंदरीकरण के लिए बनाई गई योजनाएं महज कागजों में सिमटकर रह गई। लिहाजा, बड़ी संख्या में तालाब देखभाल और सुंदरीकरण के अभाव में अपना अस्तित्व खो चुके हैं। जिस तरह मौजूदा समय में तालाब में पानी है, उसे कम समय में ही तालाब की सूरत बदल सकती है। तालाब जल संचयन का मुख्य स्रोत बन सकता है। साथ ही अतिक्रमण हटवाकर चारों हरियाली के लिए पौधों का रोपण किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों को जागरूक होना होगा। जिससे तालाब का अस्तित्व बना रहे और जल संचयन होता रहे।