संकेतक ना रिफ्लेक्टर टेप, सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति
धामपुर (बिजनौर): फरवरी माह के शुरू होते ही मौसम ने करवट ली है। अभी तक कोहरा सामान्य
धामपुर (बिजनौर): फरवरी माह के शुरू होते ही मौसम ने करवट ली है। अभी तक कोहरा सामान्य रहा लेकिन सोमवार को अचानक ठंड बढ़ने के साथ ही कोहरे की चादर ने क्षेत्र को ढक लिया। घने कोहरे के कारण ²श्यता बहुत कम होने से वाहन चालकों को बहुत परेशानी होने लगी है। ऐसे में हादसों की आशंका भी बढ़ने लगी है। सबसे अधिक खतरा तहसील क्षेत्र से गुजर रहे नेशनल हाईवे-74 पर है।
यहां चल रहे फोर लेन निर्माण कार्यों में निर्माण कंपनी की ओर से बरती जा रही लापरवाही ने हादसों की आशंका को कई गुना बढ़ा दिया है।
हाईवे पर वाहन चालकों की सहूलियत के लिए कहीं कोई बंदोबस्त नहीं दिखता। जगह-जगह गड्ढे और रोड पर पड़ी निर्माण सामग्री और सीमेंटेड बैरियर कभी भी हादसों का सबब बन सकते हैं। ऐसे में इन बदइंतजामी से साफ नजर आता है कि कोहरे में हाई वे कितना सुरक्षित है।
गड्ढे, मिट्टी के ढेर व निर्माण सामग्री :
नगीना रोड पर चल रहे फोर लेन कार्य के कारण कई जगह निर्माण सामग्री और मिट्टी के ढेर पड़े हैं। नगीना रोड पर निर्माण कंपनी के बने प्लांट के सामने बजरी का बहुत ऊंचा ढेर लगा है जो रोड के पास ही है। इसके आगे न तो कंपनी की ओर से बैरियर लगाया गया है और नहीं कोई संकेतक लगाया गया है। कोहरे में वाहनों के इस बजरी के ढेर में घुसने की आशंका बनी हुई है। एक जगह पर बीच रोड पर एक बड़ा पत्थर रखा हुआ है। कुछ जगहों पर नई रोड शुरू कर दी गई है लेकिन अधिकांश जगहों पर गड्ढों के कारण वाहन चालकों का चलना मुश्किल हो गया है। कोहरे में गड्ढों का पता नहीं लगता। जिससे वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है।
न संकेतक, न बैरियर :
घने कोहरे के कारण वाहन चालकों को यहां गड्ढों का पता नहीं लगता, जिससे आए दिन हादसे हो रहे हैं। निर्माण कंपनी ने हाईवे के दोनों ओर न तो कोई संकेतक लगा रखे हैं और न ही बैरियर। कुछ जगह ''रोड डायवर्जन'' लिखे बोर्ड जरूर नजर आ जाते हैं, लेकिन उन पर रिफ्लेक्टर टेप नहीं लगाया गया है जिससे रात के समय वाहन चालकों को दूर से बोर्ड नहीं दिख पाते हैं। कुछ जगहों पर नाम मात्र के रिफलेक्टर टेप लगाए गए हैं। हाई वे गांव की ओर जाने वाले रास्तों व बीच के कुछ कट पर भी कोई संकेतक नहीं है।
नई सड़क बन रही हादसों का कारण:
नगीना रोड पर पुरानी रोड के बराबर में नई रोड बनाई जा रही है। जो पुरानी से करीब डेढ़ से दो फिट ऊंची बन रही है। ऐसे में नई रोड पर दौड़ते वाहनों का अचानक पुरानी सड़क पर गहराई में आ कर हादसे का शिकार होने का अंदेशा बना रहता है। निर्माण कंपनी ने नई सड़क की साईड में कोई बैरियर, संकेतक या मिट्टी के बोरे नहीं लगाए हैं। कुछ जगह खानापूर्ति के मिट्टी के बोरे रखे गए हैं, लेकिन या तो वे फट चुके हैं या फिर रोड के नीचे गिर गए हैं। निर्माण कंपनी ने इन बोरों पर लोहे के पोल भी नहीं लगा रखे हैं जो वाहन चालकों को दूर से ही दिख जाएं।
आरएसएम तिराहा पर बदइंतजामी:
आरएसएम तिराहा शहर का मुख्य तिराहा है, इससे हरिद्वार, काशीपुर व मुरादाबाद के लिए रास्ते कटते हैं। लेकिन यहां पर भी बदइंतजामी व लापरवाही साफ देखने को मिलती है। यहां मुख्य तिराहे पर अब साइन बोर्ड तो लगवा दिए गए हैं लेकिन कोहरे में वाहन चालकों के ये नजर नहीं आते हैं। जिससे वाहन चालकों काशीपुर या हरिद्वार जाने का रास्ता पता लग सके। कोहरे में वाहन चालकों को काफी दिक्कत होती है, उन्हें पता नहीं लगता कि किस मार्ग पर जाना है। दिन में तो चालक गाड़ी रोक कर रास्ता पूछ लेते हैं, लेकिन रात में ठंड व कोहरे में उन्हें कोई रास्ता बताने वाला भी नहीं मिलता है।
निर्माणाधीन रोड पर पूरी सावधानी बरती जा रही है। कई जगह बोर्ड लगे हुए है।, जहां नहीं हैं वहां इंतजाम किए जाएंगे। सिक्योरिटी आफिसर से कह कर पूरे इंतजाम करवाए जाएंगे।
- मनोज कुमार, प्रोजेक्ट मैनेजर, पीएनसी इंफ्राटेक।