सा धरती भई हरियावली जिथे मेरा सतगुरु बैठा आए..
श्रद्धापूर्वक मनाया गया श्री गुरु तेगबहादुर साहिब का प्रकाशोत्सव।
नजीबाबाद: हिदू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेगबहादुर साहिब का प्रकाशोत्सव अपार श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। अखंड पाठ के समापन पर सर्वजन के जीवन में सुख-शांति व समृद्धि की अरदास की गई।
गुरुद्वारा नानकशाही श्री गुरु सिंह सभा में बुधवार सुबह सजे दीवान में हुजूरी रागी भाई कल्याण सिंह के जत्थे ने शबद-कीर्तन का गायन किया। तेग बहादुर सिमरियै जिस डिठे सब दुख जाए.. सब थाईं होए सहाय.., अनंद भया वडभागी हो गृह प्रगटे प्रभु आए जीयो.. शबद गायन से वातावरण गुरुमय हो गया। मुख्य ग्रंथी ज्ञानी उपकार सिंह गुरु इतिहास से संगत को रूबरू कराया। उन्होंने कहा कि गुरु तेगबहादुर पिता गुरु हरगोबिद साहिब के घर माता नानकी के गर्भ से अवतरित हुए। गुरु तेगबहादुर बाल अवस्था से ही तेग चलाने (तलवारबाजी) के निपुण थे। इसके बावजूद भी वे शांति के दूत थे। गुरु तेगबहादुर ने गुरु नानक की मर्यादा और परंपरा को आगे बढ़ाते हुए जहां गुरुबाणी का उच्चारण कर लोगों को ज्ञान देते हुए उनके जीवन को संवारा, वहीं मुगल शासकों के आतंक से कश्मीरी पंडितों की रक्षा भी की।
गुरु तेगबहादुर ने दिल्ली के चांदनी चौक में अपने शीश का बलिदान देते हुए कश्मीरी पंडितों (हिदुओं) का धर्म परिवर्तन होने से बचा लिया था। गुरु तेगबहादुर के शहादत स्थल पर आज गुरुद्वारा श्री शीशगंज साहिब स्थित है। जहां रोजाना देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं। अनंद साहिब के पाठ, अरदास एवं हुकुमनामे से विशेष दीवान के समापन पर प्रसाद वरताया गया। गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के प्रधान बलबीर सिंह, सचिव जितेंद्र कक्कड़, अमरीक सिंह, गुरमीत सिंह, हरेंद्र सिंह, हरजीत सिंह, त्रिलोचन सिंह, रक्षपाल सिंह, जसपाल सिंह सहित कई श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारे में माथा टेककर धर्म लाभ उठाया। वहीं सुभाषनगर, बड़िया, लालवाला, ताहरपुर, जट्टीवाला, समीपुर आदि क्षेत्रों में स्थित गुरुद्वारों में गुरु तेगबहादुर साहिब का प्रकाशोत्सव मनाते हुए अरदास की गई।