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दीपावली पर उल्लू पर रहेगी वन विभाग की नजर

शासन ने दीपावली के त्योहार पर उल्लू के शिकार पर रोक लगाए जाने की कवायद शुरू कर दी है। वन विभाग की कई टीमें बाग बाजार और धार्मिक स्थलों के आसपास निगरानी कर रही हैं जिन स्थानों पर उल्लुओं के मिलने की संभावना है। दीपावली के मौके पर अक्सर तांत्रिक अनुष्ठान को पूरा करने के लिए उल्लुओं की बलि देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 11:08 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 11:08 PM (IST)
दीपावली पर उल्लू पर रहेगी वन विभाग की नजर
दीपावली पर उल्लू पर रहेगी वन विभाग की नजर

जेएनएन, बिजनौर। शासन ने दीपावली के त्योहार पर उल्लू के शिकार पर रोक लगाए जाने की कवायद शुरू कर दी है। वन विभाग की कई टीमें बाग, बाजार और धार्मिक स्थलों के आसपास निगरानी कर रही हैं, जिन स्थानों पर उल्लुओं के मिलने की संभावना है। दीपावली के मौके पर अक्सर तांत्रिक अनुष्ठान को पूरा करने के लिए उल्लुओं की बलि देते हैं।

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करीब दो माह पहले नजीबाबाद पुलिस ने बड़ी संख्या में पिजरों में बंद विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को आजाद भी कराया था। जैसे-जैसे दीपावली नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे उल्लुओं की डिमांड भी बढ़ रही है। इस बार सरकार ने उल्लुओं के शिकार पर रोक लगाए जाने के डीएफओ बिजनौर समेत सूबे के सभी डीएफओ को आदेश दिए हैं। आदेश में कहा कि अक्सर दीपावली पर उल्लू की बलि देकर कई तरह के अनुष्ठान किए जाने की वजह से बाजार में उल्लुओं की डिमांड बढ़ती है। उल्लू अक्सर आम, अमरूद के बागों में दिन के वक्त सोते मिलते हैं, जिन्हें शिकारी आसानी से पकड़ लेते हैं। रात्रि के वक्त उल्लू को पकड़ना नामुमकिन है, क्योंकि रात्रि में उल्लू जागता है। वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि उल्लुओं के शिकार में लगे शिकारियों की धरपकड़ को टीमें लगाई गई हैं। वहीं उल्लू मिलने वाले स्थानों को चिन्हित करने के साथ-साथ वहां नजर रखने की हिदायत टीमों में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों को दिए गए हैं। डीएफओ डा. एम. सेम्मारन का कहना है कि दीपावली पर उल्लुओं के शिकार पर रोक लगाने के लिए जनपद के सभी रेंज में टीमें लगा दी गई हैं। वहीं बाजारों में व्यापारियों को भी जागरूक किया जा रहा है कि यदि कोई भी व्यक्ति उल्लू बेचने आता है, तो तत्काल उसकी सूचना विभाग को सूचित करें, ताकि व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई की जा सके। -संरक्षित प्रजाति का पक्षी है उल्लू

डीएफओ डा. एम. सेम्मारन बताते हैं कि भारतीय वन्य जीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची-एक के तहत उल्लू संरक्षित प्रजाति का पक्षी घोषित है। वर्तमान में लुप्त प्राय पक्षियों की श्रेणी में दर्ज है। उल्लू के शिकार करते पकड़े जाने पर कम से कम 3 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है। उल्लू के पालने और शिकार करने पर प्रतिबंध है। देश में उल्लुओं की 36 प्रजातियां हैं।


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