ओबीसी बैंक घोटाले में पांच खाते सील
बिजनौरजेएनएन। नगर में स्थित ओबीसी बैंक की शाखा में आधा दर्जन से अधिक लोगों के खातों से लाखों रुपये निकलने के मामले में मेरठ से आई टीम दूसरे दिन भी जांच में जुटी रही। इस दौरान दो और पीड़ित सामने आए जिनको मिलाकर घोटाले की रकम 50 लाख रुपये को पार कर गई है। जांच टीम ने रकम निकलने वाले पांच खातों को सीज कर दिया है।
ओबीसी बैंक घोटाले में पांच खाते सील
बिजनौर,जेएनएन। नगर में स्थित ओबीसी बैंक की शाखा में आधा दर्जन से अधिक लोगों के खातों से लाखों रुपये निकलने के मामले में मेरठ से आई टीम दूसरे दिन भी जांच में जुटी रही। इस दौरान दो और पीड़ित सामने आए, जिनको मिलाकर घोटाले की रकम 50 लाख रुपये को पार कर गई है। जांच टीम ने रकम निकलने वाले पांच खातों को सीज कर दिया है।
नगर में स्थित ओबीसी बैंक की शाखा से आधा दर्जन ग्राहकों के खाते से करीब 25 लाख रुपये निकलने के बाद गुरुवार को मेरठ के क्षेत्रीय कार्यालय से जांच टीम पहुंची थी। शुक्रवार को दूसरे दिन भी जांच जा रही। वहीं दो और मामले सामने आए हैं, जिनमें सूरज कुमार और उनकी पत्नी प्रमोद कुमारी बैंक पहुंचे। दंपती ने जांच टीम को बताया कि उनके खाते से पिछले साल फरवरी और मार्च के बीच 15 हजार रुपये निकाले गए हैं।
वहीं गांव नारायणखेड़ी निवासी विपिन कुमार ने अपने खाते से ढाई लाख रुपये निकाले जाने की बात कही। इन दोनों मामलों के सामने आने के बाद घोटाले की रकम 50 लाख रुपये को पार कर गई है। जांच कर रहे बैंक एजीएम अरुण कुमार ने बताया कि जिन खातों में रकम ट्रांसफर की गई है, उन खातों को सीज कर दिया गया है। साथ ही हर पहलू पर गहनता से जांच की जा रही है। इस बात की जांच की जा रही है कि ट्रांसफर की गई रकम पीड़ितों के खाते से कैसे गई? और किसके खाते में गई है?।
ज्ञात हो कि बुधवार को जगदीश सिंह, दयावती, रोहित कुमार, सरस्वती देवी आदि बैंक पहुंचे थे, उन्होंने किसान क्रेडिट खाते से करीब 25 लाख रुपये निकाले जाने का आरोप लगाया था। यह मामला सामने आने के बाद रोजाना बैंक के ग्राहक अपने खातों की जांच कराने पहुंच रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी वैसे ही घोटाले की रकम भी बढ़ सकती है। विभागीय जांच के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। उधर, पुलिस भी घोटाले की जांच में जुटी है। थाना प्रभारी सत्यप्रकाश ने बताया कि सभी शिकायतों को एकत्र किया जा रहा है। बैंक की ओर से विभागीय जांच पूरी होने पर दोषियों को चिन्हित कर एफआइआर दर्ज की जाएगी।