घर की चारदीवारी में हो रहा अपनेपन का एहसास
भागदौड़ भरे जीवन में घर पर ठहरना संभव नहीं हो पाता। आम दिनों में परिजनों की एकदूसरे से यही शिकायत रहती है कि वे परिवार को समय नहीं दे पाते हैं। किसी न किसी की अनुपस्थिति खलती है। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण देश जूझ रहा है लेकिन प्रधानमंत्री के लॉकडाउन की घोषणा ने परिवारों के बीच की दूरियों को खत्म कर दिया है। अब हर कोई परिवार को समय दे रहा है।
बिजनौरए जेएनएन। भागदौड़ भरे जीवन में घर पर ठहरना संभव नहीं हो पाता। आम दिनों में परिजनों की एकदूसरे से यही शिकायत रहती है कि वे परिवार को समय नहीं दे पाते हैं। किसी न किसी की अनुपस्थिति खलती है। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण देश जूझ रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री के लॉकडाउन की घोषणा ने परिवारों के बीच की दूरियों को खत्म कर दिया है। अब हर कोई परिवार को समय दे रहा है।
गढ़मलपुर स्थित एसएसडी डिग्री कॉलेज एवं यश हॉस्पिटल के एमडी रणवीर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन में सुबह सात बजे से रात 10 बजे तक परिवार के सदस्य एकदूसरे में घुल-मिलकर खुलकर जी रहे हैं। बेटे ठाकुर यशवर्धन, ठाकुर हर्षवर्धन के साथ वह बैडमिटन खेलते हैं। बागवानी करने और कॉलेज के कुछ आवश्यक कार्य घर पर ही निपटाने में उनका दिन बीत जाता है। शीतल ठाकुर कुकिग विदआउट फायर का लुत्फ उठाते हुए शानदार व्यंजन परोसती हैं।
वहीं, नगर पंचायत साहनपुर के पूर्व चेयरमैन खुर्शीद मंसूरी फिलहाल राजनीति को भुलाकर परिवार को पूरा समय दे रहे हैं। वे परिवार में पत्नी नाहिद परवीन के साथ पुत्री अलसबा, नबीहा और मदीहा को पढ़ाने और और उनका मार्गदर्शन करने में व्यस्त हैं। खुर्शीद मंसूरी की बड़ी बेटी इल्का अलीगढ़ में रहकर पढ़ती है। वह लॉकडाउन से पहले ही घर आ गई थी। परिवार से दूर रहने वाली इल्का के घर आने से खुशी का माहौल है। सुबह सवेरे उठना, स्नान, व्यायाम, नमाज, अखबार पढ़ना, न्यूज चैनल देखना, घरेलू कामकाज, खेलकूद यह परिवार के सभी सदस्यों की दिनचर्या का हिस्सा है।