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टिकैत बंधुओं से चल रहा था यूनियन के पदाधिकारियों का मनमुटाव

कृषि सुधार कानूनों के विरोध में चलाए गए आंदोलन में जिले के किसानों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 May 2022 11:09 PM (IST)Updated: Sun, 15 May 2022 11:09 PM (IST)
टिकैत बंधुओं से चल रहा था यूनियन के पदाधिकारियों का मनमुटाव

टिकैत बंधुओं से चल रहा था यूनियन के पदाधिकारियों का मनमुटाव

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बिजनौर, जागरण टीम। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में चलाए गए आंदोलन में जिले के किसानों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। भाकियू के युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष दिगंबर सिंह जिला मुख्यालय पर इसकी अगुवाई कर रहे थे। वे किसानों को बड़ी तादाद में गाजीपुर बार्डर ले जाते थे। वे कभी टिकैत भाइयों के बेहद करीबी रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से संगठन पदाधिकारियों से चले आ रहे मतभेद की वजह से दिगंबर सिंह भी अगला रास्ता तलाशने में जुटे थे। दावा किया जा रहा है कि संगठन के ज्यादातर पदाधिकारी दिगंबर सिंह के ही साथ रहेंगे। कभी बिजनौर का संगठन मुजफ्फरनगर से भी मजबूत माना जाता था। लेकिन पिछले कुछ समय से इसकी छवि जिले में कमजोर होती जा रही थी। पिछले साल किसान आंदोलन खत्म होने के बाद भाकियू के तत्कालीन राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अपने भाषणों में कभी सीधे तो कभी अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा नेताओं को चुनाव में वोट न देने की अपील की थी। संगठन में पदाधिकारी भाजपा के एकतरफा विरोध और राकेश टिकैत के राजनीतिक स्टंट के विरोध में थे। जिले की आठ में से चार सीटों पर भाजपा ने ही कब्जा किया था। इसके बाद से संगठन पदाधिकारियों ने शीर्ष नेतृत्व के बारे में बोलना शुरू कर दिया था। रही सही कसर जिला कार्यकारिणी और दिगंबर सिंह के बीच पनपे विवाद ने पूरी कर दी। दिगंबर सिंह ने जिला कार्यकारिणी पर गलत कामों और गलत लोगों के साथ लिप्त होने का आरोप लगाया था। उन्हें न हटाने पर खुद इस्तीफा देने की बात कही थी लेकिन उन्हें नहीं सुना गया। एक बार समय यह हो गया कि हर ब्लॉक में दो-दो कार्यकारिणी हो गईं। दिगंबर सिंह भी शीर्ष नेतृत्व से असंतुष्ट लोगों के साथ चले गए। उन्हें नई टीम में फिर से युवा विंग का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। किसान हित में मुखर रहे दिगंबर सिंह दिगंबर सिंह की गिनती जिले के बड़े किसान नेताओं में होती है। वे किसानों के मुद्दों को लेकर प्रशासन से मुखर होते रहते हैं। उनकी किसानों में जबरदस्त पकड़ है। गन्ना भुगतान से लेकर क्रय केंद्रों पर तौल तक वे हर मामले में किसानों से उलझते रहे हैं। सुनी जा रही थी दलालों की आवाज शीर्ष नेतृत्व ने किसान यूनियन को राजनीतिक बना दिया था। किसानों की आवाज के बजाए दलाली करने वाले पदाधिकारियों की आवाज ही उठाई जा रही थी। किसानों की आवाज बुलंद करने और उनके हित में ही कदम उठाया गया है। मैं हमेशा किसानों की आवाज उठाऊंगा और उन्हें निराश नहीं होने दूंगा। दिगंबर सिंह, युवा प्रदेश अध्यक्ष, भाकियू


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