पत्रकारों के खिलाफ चार्जशीट का कोर्ट ने नहीं लिया संज्ञान
त्रुटिपूर्ण विवेचना कर पत्रकारों पर बिना किसी आधार के दाखिल आरोप पत्र का संज्ञान लेने से कोर्ट ने मना कर दिया। सिविल जज जेडी नरेंद्र कुमार ने आइओ की त्रुटिपूर्ण कार्रवाई पर नाराजगी प्रकट करते हुए कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक को आदेश की प्रति भेजी है।
बिजनौर जेएनएन। त्रुटिपूर्ण विवेचना कर पत्रकारों पर बिना किसी आधार के दाखिल आरोप पत्र का संज्ञान लेने से कोर्ट ने मना कर दिया। सिविल जज जेडी नरेंद्र कुमार ने आइओ की त्रुटिपूर्ण कार्रवाई पर नाराजगी प्रकट करते हुए कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक को आदेश की प्रति भेजी है।
एसएसआइ प्रमोद कुमार सिंह ने सात सितंबर 2019 को मंडावर थाने में पत्रकारों के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि एक गांव में वाल्मीकि परिवार को दबंगों ने पानी भरने से रोका तथा महिला लोकेश देवी के मकान पर उक्त पत्रकारों ने मकान बिकाऊ शब्द लिखवा दिया। इस मामले में आइओ ने उक्त महिला के सीआरपीसी की धारा 161 तथा धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए। बयानों में उक्त महिला ने किसी पत्रकार का नाम नहीं बताया। इस मामले में गवाह केशव, ईश्वर, सरिया तथा गोपाल के बयान लिए गए जिन्होंने भी उक्त घटना से इन्कार किया। आइओ ने इस मामले में पत्रकार आशीष तोमर, शकील अहमद, मोईन, आमिर व लाखन के विरुद्ध आरोप पत्र कोर्ट में पेश किए। आरोपित की ओर से आपत्ति की गई कि आरोप पत्र बिना किसी तथ्यों के आधार पर कोर्ट में पेश किया गया है। इस मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश में लिखा कि इस मामले का अंतिम रूप से निस्तारण हुआ या नहीं, इस का उल्लेख आइओ ने विवेचना में अंकित नहीं किया। पत्रकारों द्वारा समाचार प्रकाशित किया जाना स्वयं में अपराध नहीं है। कोर्ट ने अपने आदेश में आइओ के उक्त कृत्य से अवगत कराने के लिए इसकी प्रति पुलिस अधीक्षक को भेजने के आदेश दिए। उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति के सदस्य सूर्यमणि ने कहा कि यह सत्य और न्याय की जीत है। सभी के साथ न्याय हुआ है।