मन और इंद्रियों को वश में रखना ही उत्तम संयम
नजीबाबाद में दशलक्षण पर्व पर जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं ने श्रीजी का अभिषेक किया और भगवान आदिनाथ भगवान महावीर तीर्थकर की वेदी के समक्ष नतमस्तक होकर उत्तम संयम धर्म का संकल्प लिया।
बिजनौर, जेएनएन। नजीबाबाद में दशलक्षण पर्व पर जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं ने श्रीजी का अभिषेक किया और भगवान आदिनाथ, भगवान महावीर तीर्थकर की वेदी के समक्ष नतमस्तक होकर उत्तम संयम धर्म का संकल्प लिया। अजय जैन ने कहा कि मन और इंद्रियों को वश में रखना ही उत्तम संयम धर्म है।
दशलक्षण पर्व के छठवें दिन श्री दिगंबर जैन पंचायती एवं सरजायती मंदिरों पर प्रात: काल में श्रावकों द्वारा जय जिनेंद्र जयघोष से वातावरण गुंजायमान रहा। धर्म चर्चा करते हुए अजय जैन ने कहा कि हमारा जीवन विषय भोगों में भटक रहा है। हमें अपने मन और इंद्रियों को वश में करने के लिए उत्तम संयम धर्म का पालन करना चाहिए। जितेंद्र जैन ने कहा कि उत्तम संयम धर्म को अपनी आत्मा में उतारने का प्रयास करें। संयम व्रत का पालन करने से जीव मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होता है। विषय कषाय से दूर हो कर आत्मा को निर्मल करते हुए जब संयम धारण किया जाता है तो उसे उत्तम संयम धर्म कहा जाता है। सामूहिक रूप से पूजन में पारसनाथ जैन, नमन जैन, जिनेश्वर प्रसाद जैन, राजीव जैन, समला जैन, सुषमा जैन, संध्या जैन, जितेंद्र जैन, रैना जैन, अलका जैन, पूनम जैन, सुनीता जैन, साल्वी जैन,सरोज कुमारी जैन, छवि जैन, अवधेश जैन, सुषमा जैन, संतोष जैन, अरनव जैन, सुशीला जैन सहित कई श्रद्धालुओं ने श्रीजी का अभिषेक व पूजा-अर्चना की। इनका कहना है
दशलक्षण पर्व ज्ञानोपार्जन का पर्व है। ज्ञान से प्रभु का सानिध्य प्राप्त होता है।
-अजय जैन दशलक्षण पर्व पर श्रीजी का नित्य पूजन और दर्शन से मनुष्य के अवगुण दूर होते हैं।
-मनीष जैन