212 चिकित्सा उप केंद्रों पर नहीं गूंजी किलकारी
जिले में बने 343 उप केंद्रों में से अधिकांश की स्थिति यही है। उन पर न तो स्टाफ की तैनाती है और न ही जरूरी सुविधाएं हैं। 212 उप केंद्र तो ऐसे हैं जिनमें आज तक कोई प्रसव नहीं हुआ।
बिजनौर : शहर के नजदीक बसे काजीवाला में सात साल पहले बने उप स्वास्थ्य केंद्र का आज तक ताला नहीं खुला। हल्दौर ब्लाक के सड़ियापुर, नजीबाबाद के लुकादड़ी, नूरपुर क्षेत्र के ऊमरी तथा अखेड़ा के स्वास्थ्य उप केंद्रों की भी हालत यही है। यह तो उदाहरण मात्र हैं। जिले में बने 343 उप केंद्रों में से अधिकांश की स्थिति यही है। उन पर न तो स्टाफ की तैनाती है और न ही जरूरी सुविधाएं हैं। 212 उप केंद्र तो ऐसे हैं जिनमें आज तक कोई प्रसव नहीं हुआ।
जनपद में बसपा सरकार में ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य उप केंद्रों का निर्माण किया गया था। इनका उद्देश्य ग्रामीणों को गांव स्तर पर ही चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के साथ ही संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना था लेकिन स्थिति में जरा भी बदलाव नहीं हुआ। अधिकांश उप केंद्रों के बनने के बाद से ताले ही नहीं खुले। इनके भवन भी जर्जर हो गए हैं। उप केंद्र परिसर में झाड़ियां एवं गंदगी की भरमार है। विभागीय अफसरों ने इनकी कभी सुध नहीं है। विभागीय रिपोर्ट में ही मात्र 131 उप केंद्रों पर प्रसव की सुविधा है। बाकी में न तो चिकित्सा स्टाफ तैनात है और न ही चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। बहुत से केंद्र अधिकांश आबादी से दर जंगल में बने हैं। निजी अस्पतालों में लुट रहे लोग
गांव स्तर पर बने स्वास्थ्य उप केंद्रों में प्रसव की सुविधा नहीं मिलने से महिलाएं प्रसव के लिए निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें शहर की ओर तो रुख करना ही पड़ता है साथ ही मोटी रकम भी खर्च करनी पड़ती है। इन्होंने कहा..
स्टाफ की कमी के चलते स्वास्थ्य उप केंद्रों पर तैनाती नहीं हो सकी है। इसके साथ ही संसाधनों की भी कमी है। इसके चलते 212 उप केंद्रों पर प्रसव नहीं हो पा रहे हैं।
- डा. रोहिताश ¨सह, नोडल अधिकारी एनएचएम